काल सर्प दोष - कालसर्प दोष वह दोष है जिसे पहले सर्प दोष के नाम से जाना जाता था | जब कुंडली में सारे के सारे ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाते है तो काल सर्प दोष बनता है | जैसे की इस दोष का नाम स्वतः ही अपने बारे में बता रहा है की यह दोष व्यक्ति के जीवन में जहर घोल देता है |
काल सर्प योग 12 प्रकार के होते है -(1) अनंत काल सर्प योग, (2)कुलिक काल सर्प योग, (3) वासुकी काल सर्प योग, (4) शंखपाल काल सर्प योग, (5)पदम् काल सर्प योग, (6) महापद्म काल सर्प योग, (7) तक्षक काल सर्प योग, (8) कर्कोटक काल सर्प योग, (9) शंख्चूर्ण काल सर्प योग, (10) पातक काल सर्प योग, (11) विषाक्त काल सर्प योग, (12) शेषनाग काल सर्प योग |
इस दोष की वजह से व्यक्ति के काम बनते-बनते बिगड़ने लगते है | उसकी निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है| उसके अपने ही उसके साथ विश्वासघात करने लगते है | काल सर्प दोष की वजह से जातक भ्रमित रहते है |
अगर आप की कुंडली में काल सर्प दोष है तो आप किसी विद्वान पंडित से इसका उपाय जरुर कराएं। कालसर्प की शांति पूजा विधि-विधान से होती है।