नक्षत्र क्या होते है ?
वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र का वर्णन पाया जाता है। नक्षत्र शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है और यह दो शब्दों से मिलकर बना है, जो कि ‘नक्स’ और ‘शतर’ हैं। संस्कृत में ‘नक्स’ शब्द का अर्थ है ‘आकाश’ और ‘शतर’ शब्द का अर्थ है ‘क्षेत्र’ जो कि एक साथ आकाश का क्षेत्र दर्शाता है।
ऐसा माना जाता है कि आकाश को 27 भागों में बाँटा गया है, हर भाग को नक्षत्र कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को उच्च प्राथमिकता दी गई है, जो प्रतिदिन एक खंड (नक्षत्र) की यात्रा करता है। प्रत्येक नक्षत्र को ‘पद’ में विभाजित किया गया है। सही भविष्यवाणी करने के लिए, विभिन्न कारकों में से नक्षत्र उत्तरदायी होते है।
कौन से है शुभ और अशुभ नक्षत्र
शुभ नक्षत्र – रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, पुनर्वसु, अनुराधा और स्वाति ये नक्षत्र शुभ हैं। इनमें सभी मांगलिक कार्य सिद्ध होते हैं।
अशुभ नक्षत्र – भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा नक्षत्र अशुभ होते हैं। इनमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। ये नक्षत्र क्रूर और उग्र प्रकृति के कार्यों के लिए जैसे बिल्डिंग गिराना, कहीं आग लगाना, विस्फोटों का परीक्षण करना आदि के लिए ही शुभ होते हैं।