भारतीय ज्योतिष में कई तरह के नक्षत्र होते हैं जिनका किसी ना किसी रूप में हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इस सभी नक्षत्रों का अपना महत्व होता है। कई नक्षत्रों को ज्योतिष में अशुभ माना गया हैं, इन्ही में से एक है गंडमूल नक्षत्र।
क्या होता है गंडमूल नक्षत्र ?
ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है। जिनमें कई नक्षत्र शुभ होते है, तो कई अशुभ होते है। इन अशुभ नक्षत्रों को ही गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है। शुभ और अशुभ नक्षत्र अपना अच्छा तथा बुरा प्रभाव अवश्य दिखाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सभी अशुभ नक्षत्रों में से गंडमूल नक्षत्र को सबसे अधिक अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है, उसका पूरा जीवन बाधाओं और परेशानियों से घिरा रहता है। इसी दोष को गंड मूल दोष कहते है।
कितने प्रकार के होते है गंडमूल नक्षत्र ?
गंडमूल नक्षत्र छ: प्रकार के होते है और उनके नाम कुछ इस प्रकार है :-
- अश्विनी
- अश्लेषा
- मघा
- ज्येष्ठा
- मूल
- रेवती
गंडमूल नक्षत्र के प्रभाव
गंडमूल नक्षत्र में जन्में बच्चे का प्रभाव माता-पिता और स्वयं पर क्या होता है ? इनका प्रभाव कुछ इस तरह से होता हैं :-
- स्वास्थ्य मे दिक्क्त होना।
- माता पिता को कष्ट व आयु भय।
- जीवन में नकारात्मक प्रभाव तथा संघर्ष।
- दुर्घटना भय या जीवन में कष्टदायी स्थिति बनती हैं।
- दरिद्रता और भाग्यहीनता का भय।
- घर-परिवार और भाग्य को भी प्रभावित करता है।