केमद्रुम योग जन्मपत्री में तब बनता है जब चन्द्रमा से पहले वाले भाव में और बाद वाले भाव में अर्थात चन्द्रमा जिस भाव में बैठा हुआ हो उस द्वित्य और द्वादश भाव में कोई ग्रह स्थित ना हो |
ज्योतिष में चन्द्रमा को मन की संज्ञा दी गयी है | कहते है मन के हारे हार है और मन की जीते जीत | मनुष्य जीवन में वही करता है जो उसके मन को पसंद होता है | वो कब खुश है और कब दुखी ये भी उसे उसका मन ही बताता है|
इस योग की लिए शास्त्रों में ये तक कहा गया है की इस योग की वजह से राजा की घर जन्मा जातक भी निर्धन हो जाता है | इस योग की वजह से जातक काफी निराशावादी हो जाता है | उसके उसकी माता के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते | सब कुछ होते हुए भी वह खुद को बहुत अकेला महसूस करता है |
केमद्रुम योग जिन लोगो की कुंडली में होता है उन्हे बहुत जल्दी जल्दी गुस्सा आता है | यह योग व्यक्ति की कल्पनाशक्ति और रचनात्मक सोच पर ग्रहण लगा देता है |
केमद्रुम योग स्त्रियों को मासिक धर्म सम्बन्धी दिक्कते देता है | इस योग की वजह से जातक न्यूमोनिया तथा कफजनित रोग जैसे सर्दी-जुकाम आदि से बहुत जल्दी जल्दी पीड़ित होता है |