ज्योतिष में 27 नक्षत्र है जिनमें से 6 नक्षत्र ऐसे है जिन्हे गंडमूल कहा जाता है। यह नक्षत्र है अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूला तथा रेवती | ये 6 नक्षत्र दो राशियों की संधि पर होते है, जब एक राशि के साथ नक्षत्र समाप्त होता है तो दूसरी राशि के साथ प्रारम्भ हो जाता है |
इनमें 3 नक्षत्र केतु के और 3 नक्षत्र बुध के होते है | ज्योतिष शास्त्र में संधि काल को शुरू से ही अशुभ माना जाता है | यदि हम प्रकृति को भी ध्यान से देखे तो पाएंगे की जब मौसम बदलता है तब वो समय लोगो के लिए इतना अच्छा नहीं होता | उन्हे स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याओ का सामना करना पड़ता है |
शास्त्रों के अनुसार गंडमूल नक्षत्र में जन्मा बालक स्वयं के लिए अथवा अपने माता-पिता अथवा अपने बहन-भाईयों के लिए अशुभ रहता है और जीवन में उसे किसी न किसी प्रकार का कष्ट बना रहता है | वह स्वभाव से काफी गुस्सैल होता है |
शास्त्रों के अनुसार यदि किसी बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है तब ठीक 27वें दिन उसी नक्षत्र के आने पर किसी अच्छे जानकर और ज्ञानी पंडित से मूल शांति अवश्य करा लेनी चाहिए |