विवाह मनुष्य के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार होता है। इस संस्कार में बंधने से पहले वर औरवधु के जन्म कुंडलीका गुण मिलान किया जाता है। इस गुण मिलान करते समय नक्षत्र,अष्टकूटों में नाड़ी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जिनके 36 में से 36 गुण मिलते हैं, वह बड़ी ही अच्छी जोड़ी होती है। परन्तु 36 का यह आंकड़ा उनके वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
भगवान राम और देवी सीता के 36 गुण मिले थे, लेकिन दोनों का वैवाहिक जीवन कभी सुखमय नहीं रहा। इसलिए गुण मिलवाते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर यह देखना चाहिए कि वर-वधु दोनों की नाड़ी एक ना हो।
नाड़ी दोष में क्या-क्या परेशानियाँ होती है ?
- विवाह के बाद वर-वधु के बीच प्रेम काना होना।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पडता है।
- शादी के बाद दाम्पत्य जोड़ों के बीच आकर्षण कम हो सकता है।
- शादीशुदा जीवन में परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती है।
- संतान से संबंधित परेशानियाँ हो सकती है।
- गर्भपात की समस्या हो सकती है।
- दाम्पत्य जोड़ों के बीच में गलत फहमी होने की संभावना हो सकती है।
- दाम्पत्य जोड़ों का तलाक भी हो सकता है।
- विवाह के बाद पुरूष या महिला में से किसी एक या दोनों की मृत्यु हो सकती है।
नाड़ी दोष के उपाय :
- लड़का या लड़की दोनों मध्य नाड़ी के हो, तो पुरुष के प्राणों को भय रहता है। इस स्थिति में पुरुष के प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय जाप करना चाहिए।
- वर यावधु दोनों की नाड़ी आदि या अन्त्य हो, तो स्त्री के प्राणों को खतरा रहता है,इसलिए इस स्थिति मे कन्या के प्राणों की रक्षा करने के लिए महामृत्युंजयका जाप करना चाहिए।
- नाड़ी दोष होने पर संकल्प लेकर किसी ब्राह्मण को गौदान या स्वर्णदान करना चाहिए।
- नाड़ी दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आपको अपनी सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान और ब्राह्मण को भोजन कराकर वस्त्र दान करनेचाहिए।
- नाड़ी दोष निवारण पूजा के द्वारा नाड़ी दोष को हटाया जा सकता है।
- नाड़ी दोष को दूर करने के लिए विष्णु पूजा कर सकते है।