वैदिक ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति को ग्रहों के दोष या प्रतिकूल स्थिति के कारण जीवन में अनेक प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है।
जब शनि, केतु और राहु जैसे नरक ग्रह किसी जातक कीकुंडली में स्थित होते हैं, तो परिणामस्वरूप दोष उत्पन्न होते है। मंगल और सूर्य भी दोषों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
कार्तिक जन्म दोष का आरम्भकार्तिक महीने के अक्टूबर के मध्य में होता है और नवंबर के मध्य में ये समाप्त होता है।
इस महीने के दौरान, सूर्य तुला राशिमें होता है। सूर्य इस अवधि के दौरान कमजोर होता है, जो अच्छा नहीं माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में बताया गया है कि सूर्य हमारी आत्मा है, जो हमें जीवन शक्ति देता है।
कार्तिक जन्म दोष के प्रभाव :
इस दोष के कारण व्यक्ति कोनाम और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिएमुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साथ हीस्वास्थ्य मेंदृष्टि, पाचन, ऊर्जा और हड्डी आदिसमस्याएं परेशान करती है।
इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन के कई क्षेत्रोंमें अधिकार,पिता,पदोन्नति और सरकारी नौकरी आदि में दिक्कतों कासामना करना पडता है।
कार्तिक दोष में सूर्य से संबंधित समस्याएंजीवन में उत्पन्न होती हैं।यही कारण है कि जब किसी बच्चे का जन्म कार्तिक महीने में होता है, तो उसे कार्तिक जन्म दोष होने के लिए जाना जाता है।
कार्तिक जन्म दोष के उपाय :
- हर रोज सुबह भगवान सूर्य को जल अर्पित करके प्रार्थना करनी चाहिए।
- हर रविवार को नवग्रह मंदिर जाकर नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने से इस दोष का प्रभाव कम होता है।
- घर में कार्तिक जन्म दोष निवारण यंत्र रखने और पूजा करने से पीड़ित को इस दोष को दूर करने में मदद मिलती है।
- गरीबों को दान देने से इस दोष का दुष्प्रभाव कम हो जाता हैं।
- किसी पंडित या ज्योतिष से परामर्श करने के बाद कार्तिक जन्म दोष के निवारण के लिए पूजा अवश्य करवानी चाहिए।