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हिंदू पंचांग के अनुसार,27 नक्षत्र होतेहैं। इसमें कुछ नक्षत्र शुभ फल देते है, तो कुछ अशुभ फल देते है। जो अशुभ नक्षत्र है, उनकी शांतिकरानाबेहदजरूरी होता है।
जब भी कोई व्यक्ति इस धरती पर जन्म लेता है, तो वह जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान जैसी कुछ विशेषताओं के साथ पैदा होता है। भगवान द्वारा तय किया गया उसका भाग्य कुंडली से पता चलता है,कि उसका भाग्य कैसा होगा?
जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है, तो चंद्रमा और अन्य ग्रहों का अपना विशेष राशि चक्र होता है। नक्षत्रऔर ग्रहों आदि का व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
इन ग्रहों के अलावा, 27 नक्षत्र तथा चंद्र पथ के विभाजन हैं। कभी-कभी, यह अशुभ नक्षत्रव्यक्ति के जीवन में दुखों का कारण बनते है। यह सब नक्षत्रों के बुरे प्रभावों के कारण होता है जिसमें व्यक्ति पैदा होता है।
यह प्रभावव्यक्तिकी शारीरिक उपस्थिति तथा भविष्य को प्रभावित करता है। जन्म नक्षत्र भाग्यको निर्धारित करता है और व्यक्तित्व के अवचेतन पहलुओं को भी नियंत्रित करता है।
नक्षत्र शांति पूजा सुरक्षा और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए जन्म नक्षत्रपर हर वर्षसंपन्न करनी चाहिए। नक्षत्र पूजा में जीवन हवन, मृत्युंजय हवन, नवग्रह दोष, ग्रह शांति पूजा, सप्त चिरंजीवी पूजा याहवन शामिल होता हैं।
नक्षत्र शांति पूजा का उद्देश्य
नक्षत्र शांति पूजा का उद्देश्य किसी व्यक्ति के जन्म के समय केअशुभ नक्षत्रों के प्रभावों को दूर करना होता है।
जब अशुभ नक्षत्र एक व्यक्ति को इस हद तक प्रभावित करता है कि वह इसके प्रभाव से ठीक होने में असमर्थ हो जाता है,उस समय नक्षत्र शांति पूजा को कराना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि नक्षत्र शांति पूजा के माध्यम से नक्षत्रों के अध्यक्ष देवताओं को शांत किया जाता है।
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