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व्यक्ति की कुंडली के किसी घर में शनि और राहु साथ हो तो श्रापित दोष बनता है। कुंडली में यह दोष होने से व्यक्ति जीवन की विलासिता और आराम का आनंद लेने में असमर्थ होताहै।
यह दोष पिछले जन्म में किसी व्यक्ति द्वारा श्राप दिये जाने पर या पिछले जीवन में जान-बूझकर या अनजाने में किए गए कुछ अशुभ कार्य के कारण कुंडली में बनता है।
यह दोष व्यक्ति के जीवन में लगभग सभी क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्ति को परिवार, वैवाहिक जीवन, बच्चों, व्यापार, करियर आदि।
शनि तथा राहु का यह संयोजन एक व्यक्ति को बुद्धिमान बना सकता है और वह तकनीक से संबंधित गतिविधियों सहित व्यावसायिक गतिविधियों में सफल हो सकता है।
लेकिन साथ ही यह दोष व्यक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण भी बना सकता है और इसलिए वह अपनी सफलता के फल का स्वाद लेने में असमर्थ होताहै।
श्रापित दोष के दुष्प्रभाव :
श्रापित दोष के उपाय :
शनि का बीज मंत्र - ओम प्रांग प्रेंग प्रंग सह शनीशचार नमः।
राहु का बीज मंत्र है - ओम भरांग भरेन्ग भराव सह राहवे नमः।
Alisha
17-07-2020
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