संसार में हर व्यक्ति की चाह होती है कि वह अपने जीवन में खूब सफलता प्राप्त करे। घर, धन और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए वो दिन-रात मेंहनत करता है, लेकिन फिर भी उसे अपनी मेहनत का फल नहीं मिलता है।
ऐसा वास्तु दोष की वजह से हो सकता है, इस दोष को केवल वास्तु शास्त्र से ही दूर किया जा सकता है। आज हम आपको वास्तु शास्त्र के महत्व के बारे में बताएँगे।
वास्तु शास्त्र का महत्व
- वास्तु विज्ञान भारत का सबसे प्राचीन विज्ञान है जिसकी रचना हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने प्रयास से इंसान के जीवन को सुगम बनाने के लिए की थी।
- ""वस"" शब्द से बना है वास्तु, जिसका अर्थ है वास करना। वास्तु का संस्कृत में अर्थ है देवताओं और मनुष्यों का निवास स्थान।
- वास्तु में केवल भवन निर्माण ही नहीं आता है बल्कि देश, राज्य, नगर, भवन, हमारे सोने, खाने, बैठने आदि एवं निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामग्री आती है।
- वास्तु द्वारा बनाये गए भवन से धन और यश की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है की वास्तुकार शिल्प के बिना निवास करने का संसार में कोई महत्व नहीं है।
- वास्तुविद् किसी भूखंड की शुभ-अशुभ दशा का अनुमान आसपास की चीजों को देखकर ही लगाते हैं।
- आरोग्यशास्त्र के नियमों का विधिपूर्वक पालन करने से मनुष्य स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है। ठीक, उसी प्रकार वास्तुशास्त्र के नियमो के अनुसार भवन का निर्माण करके हर मनुष्य अपने जीवन को सुखी बना सकता है।
- घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर वास्तु का प्रभाव पड़ता है, चाहे वह मकान मालिक हो या किरायेदार।
- अगर आप बिना शास्त्रीय परीक्षण के ज़मीन खरीदते है और वो भूमि अशुभ सिद्ध होती है तो ऐसे हालात में परिवार के सभी सदस्यों का जीवन कष्टमय हो जाता है।
- वास्तुशास्त्र ऐसा शास्त्र है जिसको लेकर हर प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। भूखण्ड एवं भवन के दोषपूर्ण होने की स्थिति में उसे सही प्रकार से वास्तुनुसार साध्य बनाया जा सकता है।