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जानें वास्तु शास्त्र में दिशा का महत्त्व, वास्तु के अनुसार कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए?
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वास्तु शास्त्र में दिशा का क्या महत्त्व होता है?


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वास्तु शास्त्र हमारे देश की सबसे प्राचीन वास्तु कला है, जिसका प्रयोग भवन निर्माण में किया जाता है।ऐसी मान्यता है की वास्तु शास्त्र से निर्मित घर सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होते है।

वास्तु शास्त्र में दिशाओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। आज हम आपको वास्तु की इन्ही दिशाओं के बारे में बताएंगे।

ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा)

यह दिशा दैवीय शक्तियों के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसलिए इस दिशा में मंदिर स्थापित करना चाहिए। इस जगह पर साफ-सफाई रखनी चाहिए।

अगर कोई स्त्री अविवाहित है, तो उसे इस दिशा में सोना नहीं चाहिए। ऐसा कहा जाता है की अगर कोई अविवाहित स्त्री यहाँ सोती है तो उसके विवाह में विलंब या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा)

ऐसा कहा जाता है की इस दिशा का प्रतिनिधित्व स्वयं अग्नि करती है। इस दिशा में रसोईघर का होना अच्छा माना जाता है।

साथ ही विद्युत उपकरण भी रखे जा सकते हैं। अग्नि स्थान होने की वजह से यहां पानी से संबंधित चीजें नहीं रखनी चाहिए। आग्नेय कोण में डायनिंग हॉल का होना अशुभ माना जाता है।

नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा)

पृथ्वी तत्व इस दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। इस स्थान पर पौधे रखने से आपके घर की पवित्रता और सकारात्मकऊर्जा बरक़रार रहती है।

इस दिशा में मुख्य बेडरूम भी शुभ फल देता है। साथ ही स्टोर रूम भी बनाया जा सकता है। आप इस कोण में भारी वस्तुएं भी रख सकते हैं।

वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा)

इस दिशा का प्रतिनिधित्व वायु करती है। इस दिशा में खिड़की या रोशनदान का होना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं।

घर में किसी प्रकार का क्लेश नहीं होता है। इस कोण में  कन्या का कमरा बना सकते है। साथ ही इस स्थान पर मेहमानों के रहने की व्यवस्था की जा सकती है।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा से घर में खुशियां और सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसलिए यहाँ मुख्य दरवाजा बनाया जा सकता है। यहां खिड़की, बालकनी या बच्चों के लिए कमरा भी बनाया जा सकता है।

अगर आप इस दिशा में पढ़ाई या अध्ययन से सम्बंधित कार्य करते हैं तो आपका मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

पश्चिम दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह दिशा वरुण देव को समर्पित हैं। इस दिशा में आप डायनिंग हॉल बनवा सकते हैं। आप यहां सीढ़ियां भी बना सकते हैं। साथ ही पश्चिम दिशा में दर्पण लगाना बहुत शुभ माना जाता है। यहां बाथरूम भी बनाया जा सकता है।

उत्तर दिशा

धन के देवता इस दिशा में वास करते हैं। इसलिए यहाँ नकद धन और मूल्यवान वस्तुएं रखनी चाहिए। उत्तर दिशा में बैठक की व्यवस्था भी कर सकते है या ओपन एरिया भी रखा जा सकता है। यहां आप बाथरूम का निर्माण करवा सकते हैं। इस दिशा में कभी भी बेडरूम नहीं बनवाना चाहिए।

दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता की होती है। यहां आप भारी सामान रख सकते है। पानी का टैंक और सीढ़ियां बनवा सकते हैं। इस दिशा में बच्चों का कमरा नहीं बनवाना चाहिए। यदि इस दिशा में बेडरूम होता है तो सोते वक़्त सिर हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

घर के मध्य का क्षेत्र

घर के बीच के क्षेत्र का खुला रहना बहुत शुभ माना जाता है। तुलसी का पौधा इस दिशा में लगाया जा सकता है। पूरे घर में इस स्थान से ही सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।

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