हर कोई ज़िन्दगी में सफलता हासिल करना चाहते है, जीवन में आगे बढ़ना चाहते है | आप भी जब किसी कार्य की शुरुआत करने के बारे में सोचते हैं, तो चाहते है की वो किसी ऐसे समय में शुरू हो जब हमे उसमें सफलता मिलने के अवसर अधिक से अधिक हो |
उस समय को जिसे ज्योतिष भाषा में मुहूर्त कहा जाता है लोग शुभ मुहर्त को जानने के लिए ज्योतिष्यो के पास जाते है | मुहूर्त को स्वनिर्मित प्रारब्ध कहा जाता है ऐसा इसलिए कहते है की यदि सही ग्रह नक्षत्र में किसी काम को किया जाये तो सफलता निश्चित है |
ज्योतिष शास्त्र में, मुहूर्त में पंचांग के सभी 5 अंगों तिथि-वार-नक्षत्र-योग तथा शुभ लग्नों का आंकलन करके उनके सामंजस्य से बनने वाले योग द्वारा मुहूर्तों का निर्णय किया जाता है।
हमारे शास्त्रों में लिखा है की शुभ मुहूर्त में प्रारम्भ किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से शीघ्र ही सम्पन्न होता है । उसमें किसी प्रकार का कोई विघ्न नहीं पड़ता है ।
मुहूर्त के महत्व का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, पुराने समय में बड़े बड़े राजा, महाराजा भी शुभ मुहूर्त के अनुसार सभी समारोह का आयोजन किया करते थे।
शास्त्रों के अनुसार हमारे 16 संस्कार भी शुभ मुहूर्त में ही होते है ताकि जातक एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सके |