हिन्दू धर्म में मुहूर्त का बहुत महत्व होता है, कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त के नहीं किया जाता है। शुभ मुहूर्त में जिस कार्य को किया जाता है उससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। किसी अच्छे समय का चयन करके किया गया कार्य हीशुभ मुहूर्त कहलाता है। जैसे विवाह, मुंडन, वाहन खरीदना, गृह प्रवेश आदि।
विवाह मुहूर्त
हिंदू धर्म में शादी-विवाह में मुहूर्त का बहुत महत्व होता है, इसलिए जब किसी का विवाह होता है, तो मुहूर्त देखकर विवाह किया जाता है। विवाह जीवन भर का बंधन होता है, इसलिए विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना अति आवश्यक है। वर-वधू की जन्मकुंडली मिलान के आधार पर विवाह की तिथि निकाली जाती है। इसी को विवाह का शुभ मुहूर्त कहा जाता है।
चौघड़िया मुहूर्त
भारत में चौघड़िया मुहूर्त का अधिक महत्व है। सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच के समय को चौघड़िया मुहूर्त कहते है। इस चौघड़िया मुहूर्त का प्रयोग खासकर शादी-विवाह में कोई शुभ मुहूर्त ना मिलने पर किया जाता है। चौघड़िया मुहूर्त सूर्योदय पर निर्भर करता है, इसलिए हर शहर का चौघड़िया मुहूर्त अलग-अलग होता है।
अभिजीत मुहूर्त
स्थानीय समय के अनुसार दोपहर के 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक के मध्य को अभिजीत मुहूर्त कहते है। इस मुहूर्त में किया गया कोई भी कार्य शुभ होता है, परन्तु बुधवार को अभिजीत मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
रुद्र मुहूर्त
दिन के सबसे प्रथम मुहूर्त का नाम होता है रुद्र मुहूर्त। इस मुहूर्त की शुरूआत होने का समय प्रातः 6 बजे का है।
वाहन मुहूर्त
वाहन मुहूर्त वो होता है जिस मुहूर्त में आप कोई भी वाहन खरीद सकते है। फिर चाहे वो वाहन अपने निजी उपयोग के लिए हो या फिर व्यवसाय के लिए हो। शुभ मुहूर्त में खरीदा हुआ वाहन व्यक्ति के लिए शुभ होता है। ऐसा कहा जाता है की वाहन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही खरीदना चाहिए जिससे की नए वाहन से घर में सुख-समृद्धि बरकरार रहे।
गृह प्रवेश मुहूर्त
किसी भी नये कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है और उस शुभ मुहूर्त में काम करने से कार्य को फलदायी माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में मुहूर्त देखकर ही गृह प्रवेश किया जाता है। शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश करने से घर में सुख-शांति आती हैं।
मुंडन मुहूर्त
हिन्दू धर्म में प्रत्येक कार्य को करने के लिए विशेष मुहूर्त की गणना की जाती है, जिसे शुभ मुहूर्त कहते है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किये गए प्रत्येक कार्य से शुभ परिणाम मिलते है। चाहे वो शादी-विवाह से लेकर बच्चे का मुंडन क्यों ना हो ? बच्चे के मुंडन के लिए ग्रहों और नक्षत्रों की चाल देखकर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है, जिसके बाद बच्चे का मुंडन होता है।
भूमि पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार किसी भी नए घर या ऑफिस का नींव रखने के लिए भूमि पूजा किया जाता है। लेकिन भूमि पूजा के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है और उसी शुभ मुहूर्त भूमि पूजा किया जाता है। शुभ मुहूर्त में किया हुआ भूमि पूजन अच्छा परिणाम देता है। इसलिए नए घर या ऑफिस की नींव रखने से पहले भूमि पूजा करना आवश्य होता है।
नए बोरिंग मुहूर्त
हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य को करने के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है। फिर चाहे वे शादी विवाह हो या घर में कोई नये कार्य को करना। उन्हीं में से बोरिंग, खुदाई, नलकूप या बोरवेल लगवाना, जिन्हें केवल शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। शुभ मुहूर्त में किया हुआ कोई भी कार्य सफलता देता है।
नामकरण मुहूर्त
नामकरण संस्कार का मतलब है शिशु के नाम का निर्धारण करना। नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के बाद किया जाने वाला दूसरा संस्कार है। जिसमें बच्चे का नाम रखा जाता है और नाम से ही व्यक्ति की पहचान होती है। हर धर्म में अलग-अलग रीति और रिवाजों से बच्चों के नाम रखे जाते हैं। हिन्दू धर्म में नाम रखने के लिए नामकरण संस्कार का विशेष विधान है।