अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस
जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को अपनाया है, उसका विकास अनोखी गति से हुआ है और इतिहास इस बात का साक्षी है।
शिक्षा के महत्व का शब्दों में वर्णन करना बहुत मुश्किल है और इसलिए हर साल आठ सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
देश और समाज के लिए शिक्षा बहुत जरूरी होती है। साक्षरता का अर्थ है शिक्षित होना अर्थात् पढने और लिखने की क्षमता से संपन्न होना।
निरक्षरता अंधेरे के समान है और साक्षरता प्रकाश के समान है। इसलिए व्यक्ति का साक्षर होना अतिआवश्यक है, जिससे व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान हो और वह समाज के प्रति अपने अधिकारों और दायित्व का निर्वाहन भली-भांति कर सकेसाथ हीसभ्य समाज के लिए लोगों का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 07 नवंबर 1965 में ये घोषित किया कि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस प्रतिवर्ष 08 सितंबर को मनाया जाएगा।साक्षरता दिवस पहली बार 1966 में मनाना गया।
व्यक्ति, समाज और समुदाय को साक्षरता के महत्व को समझाने के लिए पूरे विश्व में इसे मनाना शुरु किया।यह सम्पूर्णदुनिया में शिक्षा की विशेषता, विषय-वस्तु, कार्यक्रम और लक्ष्य के साथ मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल पूरी दुनिया में 08 सितंबर को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस इसलिए मनाया जाता है, जिससे मानव विकास, अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा मिल सके।
सफल जिंदगी जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी बहुत जरूरी है। शिक्षितव्यक्ति में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सके और ये दिन शिक्षा को प्राप्त करने और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिएमनाया जाता है।