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चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण कब होता है? भारतीय ज्योतिषियों और शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है, तो उस समय चंद्र ग्रहण लगता है। यह चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है। चंद्र ग्रहण लगने के दो दशाएं है- पहली चंद्रमा पूरा गोल चमकता हो और दूसरा यह पृथ्वी के अधिक समीप हो।
चंद्र ग्रहण की विशेषता
चंद्र ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए इस समय मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए। जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
ग्रहण काल में स्नान-दान का विशेष महत्व होता है।
चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि इस समय बाहर निकलना अशुभ माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय भोजन पकाना, भोजन करना,सोना आदि काम नहीं करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के खत्म होने के बाद घर में और देवी-देवताओं की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कर शुद्ध करना चाहिए।
ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करना और दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ होता है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल चंद्र ग्रहण 27 जुलाई 2018 को है। इसका समय रात्रि के 11:54 से लेकर 03:48 तक है।
चंद्र ग्रहण के समय क्या करें और क्या ना करें ?
ग्रहण के दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य ना करें।
ग्रहण के पश्चात् आटा, चावल, चीनी, सफेद कपडे, काला तिल आदि वस्तु का दान करना चाहिए।
ग्रहण के समय किसी मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव चल रहा हो, तो वह शनि मंत्र का जाप करें और साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी करें।
चंद्र ग्रहण के दिन बुजुर्ग, बच्चों और रोगी को छोड़कर घर के बाकी लोग भोजन ना करें।
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