विश्वकर्मा पूजा
निर्माण और सृजन के देवता माने जाने वाले विश्वकर्मा जी हस्तलिपि कलाकार है। भारत में इनकी साधन, औजार, युक्ति और निर्माण के देवता के रूप में पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। विश्वकर्मा पूजा किस दिन करनी चाहिए, इसे लेकर लोगों में अलग-अलग राय है। कुछ लोग इस पूजा को दिवाली के दूसरे दिन करते है और कुछ लोग इस पूजा को भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष में पडने वाली चतुर्थी को करते है।
विश्वकर्मा पूजा कब है?
इस साल भाद्रपद वाली विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2018 को संपन्न की जाएगी।
पूजा विधि
- विश्वकर्मा पूजा के लिए सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नानादि कार्य कर ले।
- इस पूजा को अपनी पत्नी के साथ ही करना चाहिए।
- अपनी पत्नी सहित यज्ञ के लिए पूजा स्थान पर बैठें।
- हाथ में फूल, अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का स्मरण करते हुए, “ॐ श्री श्रिष्टनतया सर्वसिद्धहया विष्वकर्माया नमो नमः” इस मंत्र का उच्चारण करें।
- भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद अपने औजारों या मशीनों की पूजा करके तिलक लगाएं।
- यज्ञ के समाप्त होने के बाद प्रसाद को सब में बाँटना चाहिए।
इस पूजा को करने से कारोबार या व्यापार में धन-धान्य की वृद्धि होती है।