सावन महीने की पूजा
हमारे देश की परम्पराएँ हमेशा से हमें ईश्वर से जोडती आई है। फिर उसमें चाहे एक दिन का त्यौहार हो या महीने भर का। उसी में से एक है सावन का महीना जो हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। हिंदी कैलेंडर में सावन का महीना पांचवे स्थान पर आता है। यह महीना वर्षा ऋतु में प्रारंभ होता है। शिवजी को सावन महीने के देवता कहा जाता है। इस महीने में शिव उपासना, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान और शिव अभिषेक का बहुत महत्व होता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस महीने में व्रत और भगवान शिव की पूजा करती है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए शिवजी की पूजा और उपवास करती है। पूरे भारत वर्ष में सावन का महीना बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
सावन महीना कब से शुरू है ?
इस साल सावन 23 जुलाई 2018 से लेकर 22 अगस्त 2018 तक है।
पूजा विधि
- सावन के महीने में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके मंदिर जाए।
- शिवजी का ध्यान करके ताम्बे के बर्तन से शिवलिंग को जल अर्पित करें।
- जल अर्पित करने के बाद शिव को चन्दन आदि का तिलक करें।
- भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी का पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।
- इसके बाद शिवलिंग पर एक-एक करके सारी साम्रगी अर्पित करनी चाहिए, जैसे शिवामुट्ठी के लिए कच्चे चावल, सफ़ेद तिल, खड़ा मूंग, जौ, सतुआ, पंचामृत: दूध, दही, चीनी, चावल, गंगाजल, बेलपत्र, फल, फूल, धूपबत्ती या अगरबत्ती, चन्दन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, कलावे की माला, रुद्राक्ष आदि।
- शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, पूरी परिक्रमा कभी नहीं करनी चाहिए। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए।
जिस जगह पर शिवलिंग स्थापित है, उसके दक्षिण दिशा में ही बैठकर पूजा-पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है।