देवी सरस्वती की पूजा साल में दो बार की जाती है। पहली बसंत पंचमी के दिन और दूसरी नवरात्रि के सातवें दिन माँ सरस्वती का आवाहन कर उनकी स्थापना करे और विजयदशमी के दिन माँ की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। देवी सरस्वती को शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि, संगीता और कला की देवी कहा जाता है। इनके आशीर्वाद से व्यक्ति को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। संगीत के सात स्वर होते है, वह माता सरस्वती के वाणी से उत्पन्न हुए है, इसी कारण इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। माँ सरस्वती के कई नाम है, जैसे कि शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल सरस्वती देवी की पूजा 14 अक्टूबर 2018 को संपन्न की जाएगी।
मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त दोपहर के 03:41 से लेकर शाम के 06:03 तक का है।
पूजा विधि
- इस दिन प्रात:काल उठकर दैनिक कार्य करने के बाद माँ सरस्वती की आराधना का संकल्प करना चाहिए।
- सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा या तस्वीर को सामने रखे।
- इसके बाद कलश स्थापित करके गणेशजी और नवग्रह की पूजा करनी चाहिए।
- इसके बाद देवी सरस्वती को सफेद पुष्प, चन्दन, वस्त्रादि अर्पित करने चाहिए, साथ ही माँ के चरणों में गुलाल चढाएं।
- सरस्वती पूजा के अवसर पर माँ सरस्वती को प्रसाद में मौसमी फल और बूंदी का प्रसाद चढाएं।
- इस दिन देवी सरस्वती को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है।
- विसर्जन वाले दिन देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करने के बाद संध्याकाल में माँ की मूर्ति को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।