श्राद्ध
हिंदू धर्म में पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण माना गया है। श्राद्ध को ही पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है और पितृपक्ष भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरंभ होते है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य के कन्याराशि में आने पर पितृ परलोक से उतर कर कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अपने पुत्र-पौत्रों को देखने आते हैं। हर विधि का अपना एक विधान होता है और विधि विधान से किया गया हर कार्य उचित फल प्रदान करता है, इसलिए श्राद्ध को भी पूरी विधि विधान के साथ करना चाहिए। आज हम आपको श्राद्ध करने की उचित विधि बताएगें, जिनसे आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल श्राद्ध 24 सितंबर 2018 से लेकर 08 अक्टूबर 2018 तक है।
पितृपक्ष के अंतिम दिन श्राद्ध की पूजा करने के लिए निम्न मुहूर्त है:-
पहला कुतुप मुहूर्त 12:51 से लेकर 01:37 तक है।
दूसरा रोहिण मुहूर्त 01:37 से लेकर 02:23 तक है।
तीसरा अपराह्न मुहूर्त 02:23 से लेकर 04:41 तक है।
पूजा विधि
- श्राद्ध के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करके देवस्थान या पितृस्थान को गाय के गोबर से लीपकर तथा गंगाजल से पवित्र करें।
- घर की महिलाएं स्नान आदि कार्य करने के बाद पितरों के लिए भोजन पकाएं।
- ब्राह्मण को अपने घर बुलाकर पितरों की पूजा और तृपण करवाएं।
- पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें।
- इसके बाद भोजन में से एक भाग गाय, कुत्ता, कौआ और देवताओं के लिए निकाले।
- ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन करवाएं और उसके बाद उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर उनका सम्मान करें।
इस प्रकार पूजा विधि द्वारा आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण कर सकते है।