शरद पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है और इस पूर्णिमा को कोजागरी या रास पूर्णिमा भी कहते है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है और वह इस रात अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होता है। इस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है, साथ ही इस दिन चन्द्रमा अपने किरणों के माध्यम से अमृत गिराते है। शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल शरद पूर्णिमा 23 अक्टूबर 2018 को है। शरद पूणिमा में चंद्रोदय का समय 06:35 का है।
पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके नए वस्त्र धारण कर लें।
- शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व होता है।
- पूर्णिमा पर पूरे दिन का उपवास किया जाता है।
- संध्या के समय लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
- इसके बाद चन्द्रमा के दर्शन कर उनकी पूजा करके फिर अर्घ देते है।
- चन्द्रमा को अर्घ देकर अपना उपवास खोल सकते है।
- व्रत खोलने के बाद रात के बारह बजे के उपरांत खीर का प्रसाद भक्तों में बाट दे।