दशहरा पूजा
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। दशहरा पूरे भारत वर्ष में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है और दशहरे को विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम द्वारा अधर्मी रावण का वध करने के रूप में हर साल दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। प्राचीन काल में क्षत्रिय समाज का ऐसा मानना था कि इस दिन युद्ध पर जाना या युद्ध करने से आप अपने शुत्र पर विजय अवश्य प्राप्त करते है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल दशहरा 19 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा।
इसका शुभ विजय मुहुर्त 02:00 से लेकर 02:45 तक का है और अपराह्न का मुहूर्त 01:14 से लेकर 03:31 तक का है।
पूजा विधि
- देश में कई जगह दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है।
- वैदिक रीति के अनुसार इस दिन श्रीराम के साथ लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जी की भी पूजा की जाती है।
- दशहरे के दिन सुबह अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से चार पिण्ड मण्डलाकर (गोल बर्तन जैसे) बनाएं।
- गोबर से बने हुए चार बर्तनों में भीगा हुआ धान और चांदी रखकर उसे वस्त्र से ढक दें।
- इसके बाद इनकी गंध, पुष्प और द्रव्य आदि से पूजा करनी चाहिए।
पूजा के पश्चात् ब्राह्मणों को भोजन करवा कर स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य वर्ष भर सुखी रहता है।