सावन शिवरात्रि
सावन शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। पूरे साल में कुल बारह शिवरात्रियाँ आती है, जिसमें से सबसे प्रमुख महाशिवरात्रि को माना गया है। परन्तु इसके अलावा भी एक ओर शिवरात्रि है, जिसे हिंदू धर्म में बहुत ही श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है और वह सावन शिवरात्रि है।
सावन शिवरात्रि को कांवड़ यात्रा भी कहा जाता है। कांवड़ एक खोखले बांस को कहते हैं, भगवान शिव के भक्तों को काँवरिया या काँवारथी के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू तीर्थ स्थानों हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज, काशी विश्वनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य स्थानों से गंगाजल भरकर, अपने स्थानीय शिव मंदिरों में इस पवित्र जल को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
सावन शिवरात्रि कब है ?
इस साल सावन शिवरात्रि 9 अगस्त 2018 को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहुर्त सुबह के 05:43 से दोपहर के 02:37 तक है।
पूजा विधि
- व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शिव मंदिर जाना चाहिए।
- शिवजी का ध्यान करके जो पवित्र जल काँवरिया लेकर आते है, वह शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- जल चढाने के बाद भगवान शिव को चन्दन या रोली से तिलक करें।
- इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल, पंचामृत, बेल पत्र, मौली, जनेऊ, भांग, धतूरा, सुपारी, लौंग, इलायची आदि चीजें अर्पित करें।
- यह सब चीजे शिवलिंग पर अर्पण करते वक्त “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहे।
- शिवरात्रि के दिन व्रत किया जाता है और शाम के समय व्रत खोला जाता है।
- काँवरिया द्वारा लाए गए इस पवित्र जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से काँवरियाँ को बहुत पुण्य प्राप्त होता है।