गुरू पूर्णिमा
हिंदू धर्म में गुरू पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है और इस त्यौहार को पूरे भारत में बडे ही श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। गुरू पूर्णिमा आषाढ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह पर्व आत्मस्वरूप का ज्ञान पाने, अपने कर्तव्यों को याद रखने और अपने गुरू पर विश्वास रखने के रूप में मनाई जाती है।
सनातन धर्म में गुरू को भगवान से भी ऊपर की संज्ञा दी गई है। ईश्वर उपासना में सर्वप्रथम गुरू की पूजा की जाती है। गुरू के मार्गदर्शन से ही मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है, बिना गुरू के ईश्वर, ज्ञान और विद्या को पाना ना मुमकिन है।
हिंदू धर्म में गुरू शिष्य परंपरा की शुरूआत महर्षि वेद व्यास से हुई थी। भारत वर्ष में कई विद्वान गुरू हुए है, लेकिन महर्षि वेद व्यासजी सर्वप्रथम गुरू थे।
गुरू पूर्णिमा का दिंनाक और मुहूर्त
गुरू पूर्णिमा इस साल 27 जुलाई 2018 को मनाई जाएगी। इस पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 26 जुलाई की रात के 23:16 पर शुरू हो रहा है और समापन 28 जुलाई को दोपहर में 01:50 पर होगा।
पूजा विधि
- इस दिन प्रात: काल उठकर घर की सफाई, स्नानादि कार्य कर लें।
- घर के किसी पवित्र स्थान पर एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछा दें और उस पर पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण बारह-बारह रेखाएं बनाकर व्यासपीठ बना लें।
- फिर “गुरूपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये” इस मंत्र द्वारा संकल्प करें।
- इसके बाद दसों दिशाओं में चावल को अर्पित करें।
- अब मन में ब्रह्माजी, व्यासजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी और आप जिससे भी अपना गुरू मानते है, उनके नाम मंत्र से पूजा करके गुरू का ध्यान करना चाहिए।
- अपने गुरू की पूजा करने के बाद गुरू दक्षिणा देनी चाहिए।
- इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य प्राप्त होता है।
- गुरू पूर्णिमा के दिन वस्त्र, फल, फूल और मिठाई अर्पण कर गुरू का आशीर्वाद प्राप्त करें।