गणेश चतुर्थी
श्रीगणेश की पूजा अपने आप में महत्वपूर्ण और कल्याणकारी होता है। हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेशजी के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार को देश के विभिन्न राज्य में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बडे पैमाने पर श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर बप्पा के भक्त गणपति को अपने घर लाने के लिए इस दिन का बहुत उत्सुकता से इंतजार करते है। चतुर्थी तिथि को भगवान गणपति की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है। जो विघ्नों का नाश करने वाले और रिद्धि-सिद्धि के दाता है, इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी दिंनाक/मुहूर्त
इस साल गणेश चतुर्थी 12 सितंबर 2018 से शुरू हो रही है और समापन 23 सितंबर 2018 को होगा।
गणेशजी की स्थापना करने का समय 12:09 से 02:37 तक है।
पूजा विधि
- सुबह प्रात:काल उठकर स्नान आदि कार्य कर लें।
- इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर फिर गणपति को अपने घर लेकर आए।
- फिर भगवान गणपति को घर लाकर उन्हें चौकी पर स्थापित करे और उसके बाद खुद आसन पर बैठकर गणेशजी की पूजा करे।
- साथ में कलश की भी स्थापना की जाती है, इस कलश पर एक नारियल रखे। फिर इस कलश के मुख पर लाल धागा बांधा जाता है और कलश को दस दिन के लिए ऐसे ही रखा जाता है।
- सबसे पहले कलश पर कुमकुम, चावल, पुष्प अर्पित किया जाता है और उसके बाद भगवान गणेश को यह सब अर्पित करके पूजा की जाती है।
- इसके बाद भगवान गणेश को फूल, फल, रोली, मौली, अक्षत, पंचामृत, मिठाई आदि चीजें अर्पित करे।
- भगवान गणेश के सामने धूप, दिया जलाकर साथ में गणेश जी का मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें और फिर गणेशजी को मोदक का भोग लगाएं, क्योंकि गणेशजी को मोदक बहुत प्रिय है।
- फिर यह भोग अपने परिवार जन और भक्तों में बाट दे।