चंद्र यंत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र यंत्र भगवान चंद्रमा को समर्पित होता है। चंद्र देव को सोम के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ अमृत होता है। चंद्र देव ऋषि अत्री और अनुसूया के पुत्र है और हिंदू धर्म में चंद्र देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार चंद्र भगवान मानव मन का प्रतिनिधित्व करते है, साथ ही अवचेतन और जीवन शक्ति के दाता है। चंद्र देवता की किरणें शीतलता प्रदान करने वाली होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष होता है उन्हें इस यंत्र को स्थापित करके इसकी पूजा करनी चाहिए। इस यंत्र की पूजा करने से चंद्र देव शीघ्र प्रसन्न होते है। चंद्र यंत्र के साथ ही भगवान शंकर की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर ही विराजमान हैं।
लाभ
- चंद्र यंत्र की स्थापना करने से आपके मान सम्मान में वृद्धि होती है।
- चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चंद्र यंत्र को अपने घर या कार्यस्थल में स्थापित करें।
- इस यंत्र को स्थापित कर और पूजा करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है।
- चंद्र यंत्र से आपको नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
- आपके जीवन में आ रहे समस्त बाधाओं को यह यंत्र दूर करता है।
ऐसा माना जाता है चंद्र यंत्र उस स्थान को पवित्र करता है, जहाँ इस यंत्र को स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को पश्चिम की ओर पूर्व दिशा में लगाना सर्वोत्तम माना गया है। चंद्र यंत्र का प्रभाव सूर्य की बढ़ती किरणों के साथ ओर बढ़ता है। इस यंत्र को अपने घर या कारोबार में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस यंत्र का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए उचित स्थान पर स्थापित करना आवश्यक है। गलत स्थान पर स्थापित करने से आपको इस यंत्र का लाभ प्राप्त नहीं होगा। चंद्र यंत्र को कैसे और कहाँ स्थापित करें? इस यंत्र की अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है।