अंक ज्योतिष एक ऐसी विद्या है, जो अंकों के माध्यम से व्यक्ति का भविष्य और उसके विषय में बताती है। अंक ज्योतिष को अंक विद्या, अंक शास्त्र, संख्या शास्त्र आदि नामों से जाना जाता है। साथ ही अंक ज्योतिष को अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है। अंक शास्त्र में नौ ग्रहों को आधार बनाकर उनकी विशेषताओं की गणना की जाती है।
अंक शास्त्र एक प्रकार का विज्ञान है, जिसमें अंको के विश्लेषण द्वारा भविष्य बताया जाता है। जीवन में अंकों का बहुत महत्व है क्योंकि जीवन में क्या हो रहा और आगे क्या होने वाला है, उसे जानने के लिए अंकों का सहारा लेना एकमात्र रास्ता होता है।
अंक शास्त्र और उनकी गणनाओं के तरीके ने अंक शास्त्र को एक नए ऊच्चाई तक पहुंचाया है। अंक शास्त्र में कई प्रकार के अंक होते है जैसे जीवन मार्ग अंक, जन्म अंक, व्यक्तित्व अंक, कार्मिक चक्र अंक आदि।
ज्योतिष में मूल रूप से तीन तत्व हैं- ग्रह, राशि और नक्षत्र। 9 ग्रह, 12 राशियां और 27 नक्षत्र होते हैं। अंक 1 से 9 तक होते हैं। नौ अंकों का संबंध 9 ग्रहों 12 राशियों और 27 नक्षत्रों के साथ जोड़कर भविष्यफल बताया जाता है। यदि कम प्रयास में अधिक गणना करनी हो या शुभ और अशुभ समय अर्थात् शुभ वार, तिथि, मास, वर्ष, आयु, लग्न आदि जानना हो तो अंक शास्त्र का प्रयोग किया जाता है।
अंकशास्त्र में हर इंसान का अपना एक अंक मुख अंक होता है, जिसे अंक स्वामी बोलते हैं और इसी अंक स्वामी के द्वारा आपके भाग्य का आंकलन किया जाता है। आपके करियर, व्यवसाय, नौकरी, प्रेम और आपके जीवन की हर छोटी से लेकर बड़ी बात तक, यह आपका स्वामी अंक तय करता है।
अंक ज्योतिष में जिस अंक का सबसे अधिक महत्व होता है, वह भाग्यांक है। जिसे अंग्रेजी में लाइफ पाथ नंबर या डेस्टिनी नंबर भी कहा जाता है। भाग्यांक आपके जन्म की तिथि, महीने और वर्ष को जोड़ कर निकाला जाता है। इसके अनुसार आप अपने जीवन के हर साल के बारे में अनुमान लगाकर अपने कार्यों को उसी अनुरूप कर सकते हैं।
मूलांक अंकशास्त्र के अनुसार जन्म तिथि के कुल योग को मूलांक कहते है।
हर व्यक्ति का एक और अंक होता है जिसे सौभाग्य अंक कहते हैं। यह नम्बर परिवर्तनशील होता है। व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक को सौभाग्य अंक कहा जाता है।