रुद्राभिषेक क्यों किया जाता हैं? कैसे किया जाता हैं और लाभ क्या होते हैं रुद्राभिषेक से? | शिवॉलजी


Why we do Rudrabhishek?

हम रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?

Shravan Maas 2018

1 min read



भगवान शिव के कई रूपों में से एक रूप शिवलिंग है। शिवलिंग को भगवान शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। भगवान शिव को जल की धारा बहुत प्रिय है और इसलिए शिवलिंग की पूजा अर्चना करके उसका अभिषेक किया जाता है, उसी को रूद्राभिषेक कहते है। रूद्राभिषेक द्वारा भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हुए उन्हें प्रसन्न करते है। भगवान शिव को भोलेभंडारी के नाम से भी जाना जाता है और ये अपने भक्तो से जल्दी प्रसन्न हो जाते है।

 

रूद्राभिषेक का लाभ

मनुष्य जिस भी उद्देश्य से रूद्राभिषेक करता है, वह पूर्ण होता है।

रूद्राभिषेक करने से आपको सुख-शांति, खुशी, धन और सफलता मिलती है।

जल में इत्र मिलाकर अगर व्यक्ति रूद्राभिषेक करता है तो उसकी सारी बीमारियां नष्ट हो जाती है।

गन्ने के रस से रूद्राभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

धनवृद्धि के लिए शहद और घी से रूद्र का अभिषेक करे।

रूद्राभिषेक करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है।

मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थस्थान के जल से अभिषेक करना चाहिए।

सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होते है।

रुद्राभिषेक से मानव की आत्मशक्ति, ज्ञानशक्ति और मंत्रशक्ति जागृत होती है |

अभिषेक से ग्रह दोष और रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

भगवान शिव का रूद्राभिषेक करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।

 

रूद्राभिषेक का महत्व

प्राचीन कथा के अनुसार विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी।

ब्रह्माजी द्वारा अपने जन्म का कारण पूछने पर विष्णुजी ने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया।

यह कहा कि मेरे कारण ही आपका जन्म हुआ है, लेकिन ब्रह्माजी यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में युद्ध शुरू हो गया।

भगवान शिव इस युद्ध से नाराज होकर रुद्र लिंग रूप में अवतरित हुए।

इस लिंग का आदि -अंत जब ब्रह्मा और विष्णु को पता नहीं चला तो उन्होंने हार मान ली।

फिर दोनों ने मिलकर लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हो गए और तभी से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

 

पूजा विधि

रूद्राभिषेक ब्राह्मण द्वारा सम्पन्न करवाया जाता है।

इस रूद्राभिषेक में पंचामृत से लेकर गन्ने का रस, दीपक, तेल या घी, फूल, फल इत्यादि सामग्री का प्रयोग होता है।

शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करते हुए भक्त शिवलिंग के निकट पूर्व दिशा की ओर मुंख करके बैठते हैं।

रूद्राभिषेक का प्रारंभ गंगा जल से किया जाता है और गंगा जल के साथ हर तरह के अभिषेक के बीच शिवलिंग को स्नान करवाया जाता है।

इसके बाद अभिषेक के लिए आवश्यक सभी सामग्री शिवलिंग पर अर्पण की जाती है।

अंत में, भगवान की आरती करने के बाद विशेष व्यंजन अर्पित किये जाते हैं।

रूद्राभिषेक की संपूर्ण प्रक्रिया में रूद्राम या ' ॐ नम: शिवाय' का जाप किया जाता है।

 

रूद्राभिषेक का मंत्र

ॐ नम:शिवाय

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!



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