रूद्राक्ष क्या है?
ऐसा कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पति भगवान शिव के आंसू से हुई है, इसलिए इसे प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना जाता है। रुद्राक्ष को धारण करने से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का दिया हुआ वरदान है, जो संसार के भौतिक दुखों को दूर करता है।
इसका प्रयोगमंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार शास्त्रों में भी रुद्राक्ष की विशेषताओं और महिमा का खूब बखान किया गया है।
कितने तरह के रूद्राक्ष
हिंदू धर्म में रूद्राक्ष का बहुत महत्व है और रूद्राक्ष कई तरह के होते है, जैसे एकमुखी रूद्राक्ष, द्विमुखी रूद्राक्ष, त्रिमुखी, चतुर्थमुखी , पन्चमुखी, षष्ठमुखी, सप्तमुखी, अष्टमुखी, नवममुखी, दसमुखी इत्यादि नाम के रूद्राक्ष प्राप्त होते है।
रूद्राक्ष का महत्व
रुद्राक्ष की सबसे खास बात यह है की इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए सकारात्मक ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है। जिसकी वजह से नकरात्मक या बाहरी ऊर्जाएं हमें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा पाती है।
ऐसा माना जाता हैं कि रुद्राक्ष जितना छोटा होता है, वह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है,। यह रूद्राक्ष हमारे जीवन में सफलता, धन-संपत्ति और मान-सम्मान दिलाने में भी सहायक होता है।
जो रुद्राक्ष को पूरे नियमों का ध्यान रखकर श्रद्धापूर्वक धारण करते है। उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्राचीन समय से ऐसा माना जाता है की जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
रूद्राक्ष का लाभ
रूद्राक्ष ज्ञान और विद्या के लिए बहुत लाभकारी होता है और रूद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि तेज़ होती है।
ग्रहों की शांति के लिए भी रूद्राक्ष धारण किया जाता है।
दो मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
बीमारियों और रोग मुक्ति के लिए चौदह मुखी या आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है।
पंचमुखी रूद्राक्ष धारण करना सबसे अच्छा विकल्प है। साथ ही इसे हर उम्र के लोग धारण कर सकते है।