श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों की आत्मा शांति, उनकी तृप्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर इंसान को अपने पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है की जो व्यक्ति अपने पूर्वजों की संपत्ति का उपयोग करते हैं, लेकिन उनका श्राद्ध तर्पण नहीं करते है तो, ऐसे लोगों को पितृ दोष दवारा कई तरह के दुखों का सामना करना पड़ता हैं।
आज हम आपको ये बताने जा रहे है कि श्राद्ध में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए और कौन से कार्य करने चाहिए, जिसकी मदद से आपको पितरो का आशीर्वाद मिल सके।
श्राद्ध में क्या न करे?
- रात में कभी भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए, क्योंकि रात को राक्षसी का समय माना गया है।
- संध्या के वक़्त भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध में कभी भी मसूर की दाल, मटर, राजमा, कुलथी, काला उड़द, सरसों एवं बासी भोजन आदि का प्रयोग करनावर्जित माना गया है।
- श्राद्ध के वक़्त घर में तामसी भोजन नहीं बनाना चाहिए।
- इस समय हर तरह के नशीले पदार्थों के सेवन से दूरी बनानी चाहिए।
- पितृ पक्ष के दिनों में शरीर पर तेल, सोना, इत्र और साबुन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध करते समय क्रोध, कलह और जल्दबाजी नही करनी चाहिए।
श्राद्ध में क्या करना चाहिए?
- पिता का श्राद्ध पुत्र द्वारा किया जाना चाहिए। पुत्र की अनुपस्थिति में उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
- श्राद्ध में बनने वाले पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये।
- श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, और तिल का उपयोग सबसे ज़रूरी माना गया है।
- श्राद्ध में ब्राह्मणो को सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन में भोजन कराना सर्वोत्तम माना जाता हैं।
- श्राद्ध पर भोजन के लिए ब्राह्मणों को अपने घर पर आमंत्रित करना चाहिए।
- मध्यान्हकाल में ब्राह्मण को भोजन खिलाकर और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- इस दिन पितर स्तोत्र का पाठ और पितर गायत्री मंत्र आदि का जाप दक्षिणा मुखी होकर करना चाहिए।
- श्राद्ध के दिन कौवे, गाय और कुत्ते को ग्रास अवश्य डालनी चाहिए क्योंकि इसके बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है।