शनि देव को क्रूर ग्रह माना गया है । शनि की टेढ़ी नज़र, साढ़ेसाती हो या ढैय्या हो किसी को भी बर्बाद कर सकती है । आज हम आपको शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के बारे में बताएँगे ।
शनि की ढैय्या
जब गोचर का शनि चंद्र राशि से चौथी तथा आठवी राशि में आता है तब शनि की ढैय्या प्रारंभ होती है । ऐसे में शनि देव जातक को ढैय्या देते हैं । ढैय्या का अर्थ होता है ढाई वर्ष । ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति ढैय्या में तीर्थ यात्रा, समुद्र स्नान और धर्म सम्बन्धी दान करते हैं, उन्हें ढैय्या में शुभ फल प्राप्त होता है । लेकिन जो उस समय इन कामों से दूर रहते हैं, उन्हें अपने अशुभ कर्मों के अनुसार शारीरिक-मानसिक परेशानी और कारोबार में हानि का सामना करना पड़ता है ।
शनि की साढ़ेसाती -
जब शनि ग्रह किसी की जन्म राशि से 12वे घर में आता है तो साढ़ेसाती शुरू हो जाती है । इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में तब तक रहता है जब तक शनि 12 वे घर के बाद पहले और दूसरे को पार कर तीसरे में नहीं जाता । शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है इसलिए शनि की साढ़ेसाती कुल साढ़े 7 वर्ष तक रहती है । इसी वजह से इसे साढ़ेसाती कहा जाता हैं।