शनि गृह का प्रतिनिधि रत्न है नीलम। यह एक अत्यंत प्रभावशाली रत्न होता है।
ऐसा कहते है की यदि नीलम किसी व्यक्ति को रास आ जाए तो वारे न्यारे कर देता है।
यदि रास ना आए तो राजा को भी भिखारी बना देता हैं।
नीलम को धारण करने से पहले उसका परीक्षण करना आवश्यक होता है।
एक हफ्ते तक एक नीले कपड़े में नीलम को लपेटकर तकिये के नीचे रखें।
यदि सपने अच्छे आये तो नीलम शुभ है और यदि इसके विपरीत हो तो नीलम धारण नहीं करना चाहिए।
नीलम जिनके लिए अनुकूल और शुभ होता है उन्हें धारण करते ही शुभ फल मिलने लगते है।
नीलम के उपरत्न
नीलम बेहद कीमती और बहुत कम पाया जाने वाला रत्न है।
नीलम उपलब्ध ना होने की स्थिति में एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, या ब्लू टोपाज धारण किया जा सकता है।
नीलम धारण विधि
शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सूर्य उदय के बाद अंगूठी की प्राण प्रतिष्ठा करे।
अंगूठी को सबसे पहले गंगा जल, दूध, केसर और शहद में 15 से 20 मिनट तक डालकर रखे।
नहाने के बाद शनि देव की पूजा करे।
अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धोये।
इसके बाद अब 11 बारी ॐ शं शानिश्चार्ये नम: का जाप करते हुए अगूंठी की पूजा करे |
अब अंगूठी को शिवजी के चरणों में रख कर शनिदेव से प्रार्थना करे |
अंगूठी शिवजी के चरणों को स्पर्श कर मध्यम ऊँगली में धारण करे |
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