शनि देव की महिमा अपरंपार है । वैसे तो देश में सूर्य पुत्र शनि के कई मंदिर है जिसका अपना महत्व है लेकिन इन्ही मंदिरो में से एक मंदिर ऐसा है जिसके चमत्कारों की गूंज दुनिया भर में है वो है शनि देव का धाम शिंगणापुर । विश्व में प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ शनिदेव पाषाण प्रतिमा के रूप में खुले आसमान के नीचे विराजमान है ।
शनि धाम शिंगणापुर
सिर्फ महाराष्ट्र में ही शनिदेव के अनेक स्थान हैं, लेकिन अहमदनगर स्थित शिंगणापुर मंदिर का एक विशेष ही महत्व है । यहाँ शनि देव तो हैं, पर मंदिर नहीं है । घर है पर दरवाजा नहीं है । पेड़ है लेकिन छाया नहीं । भय है लेकिन शत्रु नहीं है ।
शिंगणापुर में भगवान शनि एक पाषाण मूर्ति के रूप में खुले आसमान के नीचे संगमरमर के एक चबूतरे पर स्थापित है । सुबह हो या शाम, तेज़ धूप हो, आँधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में शनि बिना छत्र धारण किए विराजित हैं ।
शनि देव की प्रतिमा
सूर्य पुत्र शनि की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है । चमत्कारी शिंगणापुर मंदिर में स्थापित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पाँच फीट नौ इंच ऊँची व एक फीट छह इंच चौड़ी है । भगवान शनि के इस दुर्लभ रूप के दर्शन करने के लिए दुनियाभर से लोग आते है । शनि की प्रतिमा के पास जाना स्त्रियों के लिए वर्जित है । महिलाएँ दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं ।
शिंगणापुर का महत्व
हिन्दू धर्म में शनि देव के बारे में कहा गया हैं कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं माँगता । जब शनि की शुभ दृष्टि होती है, तो रंक भी राजा बन जाता है । देवता, असुर, मनुष्य और नाग ये सब इनकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर नष्ट हो जाते हैं । हमें यह याद रखना चाहिए की शनि देव सिर्फ बुरे कर्म करने वालो को ही दण्डित करते है । ऐसी मान्यता है की यहाँ पर शनि देव स्वयं न्याय करते है ।