शनि साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव
साढ़े सात साल की साढ़ेसाती और ढाई साल की ढैय्या के दौरान शनिदेव मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देना आरंभ कर देते हैं । काम में रुकावटें आने लगती हैं, सफलता के राह में बाधा आकर खड़ी हो जाती हैं, लेकिन ऐसे समय में शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय जातक को बचा सकते हैं ।
ढैय्या और साढ़ेसाती के दुष्प्रभवो से बचने के उपाय
- भगवान शिव के परम भक्त हैं शनिदेव । भगवान शिव की जिन पर कृपा होती है उन्हें शनि कभी हानि नहीं पहुंचाते है. नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा अर्चना करनी चाहिए ।
- हिन्दू धर्म के अनुसार पीपल में सभी देवी-देवताओं का निवास कहा गया है । ऐसे में पीपल को जल देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं ।
- शनि के कोप से बचने के लिए आप हनुमान जी की भी पूजा कर सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों में हनुमान जी को रूद्रावतार बताया गया है । शनिवार के दिन बंदरो को केला और चना खिलाएं ।
- नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े की नाल भी आपको शनि की साढ़े साती के कुप्रभाव से बचा सकती है । इनकी अंगूठी बनवाकर धारण करनी चाहिए ।
- लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित हैं । शनिवार के दिन इन सभी का दान करने से और काली वस्तुओं का उपयोग करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है ।
यदि आप भी शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या का सामना कर रहे है तो ये उपाय आपको शनि के कोप से बचा सकते है, साथ ही दुर्भाग्य में आपका सौभाग्य ला सकते है ।