शनि जयंती
हिन्दू धर्म में शनि जयंती का बहुत महत्व है । शनि देव अपने पिता सूर्य देव की तरह ही तेजश्वी है । नव ग्रहो में सर्वश्रेष्ठ और न्याय के देवता के रूप में इनकी पूजा अर्चना की जाती है । अधिकतर लोग शनि देव के भय से इनकी पूजा करते है । शनि देव एक न्यायप्रिय राजा है अगर आपने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया या फिर किसी को कष्ट नहीं दिया तो आपको शनि देव से डरने की जरुरत नहीं है ।
शनि जयंती 2018
देश में हर साल शनि जयंती को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है । इस साल 15 मई, 2018 के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाएगी । इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों व स्तोत्रों का गुणगान किया जाता है । शनि हिन्दू ज्योतिष के नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं । शनि देव को शनैश्चर भी कहा जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकी शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं । पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि के जन्म के विषय में काफी कुछ बताया गया है. शास्त्रों में कहा गया है की शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशेष फल प्रदान करते हैं. ।
शनि जयंती का महत्व
सूर्य पुत्र शनि का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास की कृषणपक्ष की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है । देश में स्थित शनि मंदिरों में भक्त शनि देव की पूजा अर्चना करते हैं. । शनि पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं । शनि देव को काला या कृष्ण वर्ण का कहा गया है इसलिए इन्हें काला रंग प्रिय है । शनि देव काले वस्त्रों में सुशोभित हैं । जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों वाले और बड़े केशों वाले थे । शनि ग्रह सभी जीवों को कर्मों का फल प्रदान करते हैं ।
शनि नवग्रहों में से एक है, माना जाता है की इनके प्रसन्न होने पर मनुष्य को अपनी समस्त मुसीबतो से मुक्ति मिल जाती है । यदि शनि प्रसन्न हो तो कुंडली में शनि दोष होने पर भी उसका दुष्प्रभाव दिखाई नहीं देता । यदि शनि आपसे रुष्ट है तो आपको कई तरह की मुसीबत का सामना करना पड़ेगा । अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने का और शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि जयंती सबसे अच्छा समय है ।