मकर संक्रांति 2019
हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला प्रमुख त्यौहार है मकर संक्रांति। भारत के कई हिस्सों में इस त्यौहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति हर वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इसी दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।
मकर संक्रांति के दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ?
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है और इस दिन सूर्य दक्षणायन से उत्तरायण होते है। सूर्य के इस तरह दिशा परिवर्तन करने की प्रक्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में संक्रांति का दिन बहुत पुण्यकारी होता है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान तथा स्नान आदि का काफ़ी महत्व होता है।
मकर संक्रांति की दिनांक
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2019 में मनाई जाएगी।
पुण्य काल मुहूर्त :- सुबह के 09:35 से लेकर दोपहर के 04:46 तक है।
महापुण्य काल मुहूर्त :- सुबह के 09:35 से लेकर 09:59 तक
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में अधिक बढ़ जाता है। मकर संक्रांति के दिन व्यक्ति को किसी गरीब को अन्नदान, तिल एवं गुड का दान करना शुभ होता है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फलित होता है, जब वह पूर्ण आस्था तथा विश्वास के साथ किया जाता है।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है। वैसे तो देश के अधिकतर हिस्सों में इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है। कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, गुजरात एवं राजस्थान में उत्तरायण तथा असम में भोगली बिहु के नाम से जाना जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में संक्रांति को खिचड़ी कहा जाता है।