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कुंभ मेला 2019
हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से आते है। कुंभ मेला हरिद्वार, उज्जैन, इलाहाबाद और नासिक इन चार स्थलों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। कुंभ का संस्कृत अर्थ है कलश।
हिंदू धर्म में कुंभ का मेला हर 12 वर्ष के अंतराल पर हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहाबाद में संगम (जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं) इन चारों में से किसी एक पवित्र नदी के तट पर आयोजित किया जाता है।
‘अर्ध’ शब्द का अर्थ होता है आधा। इसी वजह से 12 वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाले पूर्ण कुंभ के बीच अर्थात् पूर्ण कुंभ के छ: वर्ष बाद अर्धकुंभ आयोजित होता है। हरिद्वार में पिछला कुंभ 1998 में हुआ था।
कुंभ का मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है। इस दिन जो योग बनता है, उसे कुंभ स्नान-योग कहते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, किसी भी कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धूल जाते हैं और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यदि आप वर्ष 2019 कुंभ मेले में स्नान करने की सोच रहे हैं, तो हम आपको कुंभ मेले 2019 की शाही स्नान की तारीख के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं -
14-15 जनवरी 2019 :- मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
21 जनवरी 2019 :- पौष पूर्णिमा
31 जनवरी 2019 :- पौष एकादशी स्नान
04 फरवरी 2019 :- मौनी अमावस्या (दूसरा मुख्य शाही स्नान)
10 फरवरी 2019 :- बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
16 फरवरी 2019 :- माघी एकादशी
19 फरवरी 2019 :- माघी पूर्णिमा
04 मार्च 2019 :- महा शिवरात्री
वर्ष 2019 में आयोजित होने वाला कुंभ मेला पचास दिनों तक चलेगा, जो 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से आरंभ होकर 04 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस कुंभ स्नान का अद्भुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है।
हर तीन वर्ष में लगता है कुंभ मेला, ना कि 12 वर्ष में
गुरू एक राशि में लगभग एक वर्ष रहता है। इस तरह बारह राशियों में भ्रमण करने में उसे 12 वर्ष का समय लगता है, इसलिए हर बारह साल बाद फिर उसी स्थान पर कुंभ का आयोजन होता है। लेकिन कुंभ के लिए निर्धारित चार स्थानों में से अलग-अलग स्थान पर हर तीसरे वर्ष कुंभ का आयोजन होता है। कुंभ के लिए निर्धारित चारों स्थानों में प्रयाग के कुंभ का विशेष महत्व होता है। हर 144 वर्ष बाद यहाँ महाकुंभ का आयोजन होता है।
महाकुंभ संबंधित रोचक जानकारी
शास्त्रों में बताया गया है कि पृथ्वी का एक वर्ष देवताओं के लिए एक दिन होता है, इसलिए हर बारह वर्ष पर एक स्थान पर पुनः कुंभ का आयोजन होता है। देवताओं के बारह वर्ष पृथ्वी लोक के 144 वर्षों के बाद आते है और 144 वर्ष के बाद स्वर्ग में कुंभ का आयोजन होता है, इसलिए इसी वर्ष पृथ्वी पर भी महाकुंभ का आयोजन होता है। महाकुंभ के लिए निर्धारित स्थान प्रयाग को माना गया है।
कुंभ मेला में पूजा कैसे करे :-
कुंभ के मेले में सभी श्रद्धालु सबसे पहले सूर्योदय के समय पवित्र नदी में स्नान करते है और साथ में सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को जल अर्पित करते है।
स्नान के बाद, वह लोग व्रत रखते है और भगवान की आरती में भाग लेते है।
इस दिन लोग गरीबों को दान देते है, ब्राह्मणों को भोजन और दान दक्षिणा देते है।
इस मेले में दान करने के लिए विशेष रूप से काले तिल का प्रयोग किया जाता है।
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