गीता जंयती
गीता जंयती एक प्रमुख पर्व है, यह मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। साथ ही इस दिन मोक्षका एकादशी का उपवास रखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए मोक्ष प्रदायिनी भगवत गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म का मार्ग दिखाते हुए गीता का ज्ञान दिया था। इस ग्रंथ के अठारह अध्यायों में संचित ज्ञान मनुष्य के लिए बहुमूल्य है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इस दिन को गीता जंयती के रूप में मनाया जाता है।
गीता जंयती का महत्व
गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है। गीता में 18 पर्व और 700 श्लोक है। साथ ही इसके रचयिता वेदव्यास हैं।
गीता, आत्मा और परमात्मा के सम्बंध को व्यक्त करती है। श्रीकृष्ण के द्वारा दिये गए उपदेशों को प्राप्त कर अर्जुन उस परम ज्ञान को प्राप्त करता हैं। जो उनकी समस्त शंकाओं को दूर कर, उन्हें कर्म करने की इच्छाशक्ति प्रदान करता है।
गीता के उपदेशों से मनुष्य को उचित ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही हमें धैर्य, दुख, लोभ व अज्ञानता से बाहर निकालने की प्रेरणा मिलती है। गीता एक मात्र ग्रंथ नहीं, बल्कि वह अपने आप में एक संपूर्ण जीवन है।
गीता जयंती का मूल उद्देश्य यह है, कि गीता के संदेश का हम अपनी ज़िंदगी में किसी ना किसी तरह से पालन करें और अपने जीवन को सफल बनाए।
कलयुग में गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जो इंसान को सही और गलत का फर्क समझाता है।
कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध में अर्जुन अपने परिजनों को देखकर युद्ध से मुख मोडने लगा। तब धर्मयुद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए कहा कि व्यक्ति को निष्काम भाव से कर्म करते रहना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
गीता के अनुसार हमें स्वार्थमय इच्छाओं का त्याग करना चाहिए और अहंकार से दूर रहना चाहिए। अहंकार के चलते हम ज्ञान को ग्रहण नहीं कर पाते है और गुरु की कृपा भी नहीं होती।
कब है गीता जंयती ?
इस साल गीता जंयती 18 दिसंबर 2018 को मनाई जाएगी।