मंगला गौरी पूजा
मां पार्वती के कई रूपों में से एक रूप मां मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में हर त्यौहार का अपना ही महत्व होता है। उसी तरह मां मंगला गौरी व्रत का भी अपना महत्व हैं। यह श्रावण के महीने में सावन सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत के नाम से मनाया जाता है। यह हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली और प्रभावशाली पूजाओं में से एक पूजा है।
पूजा का लाभ
मंगला गौरी का व्रत करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
सावन के महीने में आने वाले सभी मंगलवार को व्रत करने से मनुष्य के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
वैवाहित स्त्रियां अपने पति और संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना करते हुए इस व्रत को करती है।
कुमारी कन्या भी अपने खुशहाल जीवन और अच्छे पति की कामना करते हुए इस व्रत को करती है।
जिन युवतियों या महिलाओं की कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष होता है, तो मंगला गौरी व्रत करने से इस दोष को हटाया जा सकता है।
मंगला गौरी का महत्व
मंगला गौरी व्रत को करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां मंगला गौरी की पूजा और कथा सच्चे मन से करना बहुत लाभदायी होता है।
पूजा विधि
अगर आप सावन के महीने में मां मंगला गौरी का व्रत कर रहे हैं, तो सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठकर स्नान कर लें।
उसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करे।
इस दिन मां पार्वती की पूजा करते हुए उनका ध्यान करे और साथ ही इस व्रत में अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
मां मंगला गौरी की रोली-चावल से पूजा करके सोलह श्रृंगार की वस्तु चढ़ाये| उसके बाद सोलह तरह की सभी चीजों जैसे फूल, माला, फल, पत्ते, आटे के लड्डू, पान, सुपारी, लोंग, इलायची तथा पंचखो इत्यादि का प्रसाद रखे|
इसके बाद कथा करे और मंत्र का जाप कर आरती करे|
मंगला गौरी व्रत कब से कब तक है ?
इस साल मंगला गौरी व्रत 31 जुलाई 2018 से लेकर 21 अगस्त 2018 तक है।
मंगला गौरी का मंत्र
ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।