विश्वकर्मा पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन के देवता कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इन्द्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका आदि का निर्माण किया था। विश्वकर्मा जयंती के दिन विशेष रूप से औजार, मशीन तथा सभी औधोगिक कंपनियों और दुकानों आदि में इनकी पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा को लेकर कई भांतियां है। कई लोग विश्वकर्मा पूजा भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाते है, तो कई लोग विश्वकर्मा पूजा दिपावली के दूसरे दिन मनाते है। विश्वकर्मा जयंती को लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से इंसान को व्यवसाय में सफलता मिलती है।
जिस व्यक्ति पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा-दृष्टि होती है, उस व्यक्ति के व्यवसाय में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की होती है।
इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति के घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि में कभी कोई कमी नहीं होती है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
विश्वकर्मा पूजा कब है?
इस साल भाद्रपद वाली विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2018 को है।
विश्वकर्मा कथा
कथा के अनुसार, काशी में धार्मिक आचरण रखने वाला एक रथकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह अपने कार्य में निपुण था, परंतु जगह- जगह पर घूमने और प्रयत्न करने पर भी वह भोजन से अधिक धन प्राप्त नहीं कर पाता था। वही पत्नी भी पुत्र न होने के कारण चिंतित रहती थी।
पुत्र प्राप्ति के लिए दोनों साधु-संतों के यहां जाते थे, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी न हो सकी। तब एक पड़ोसी ब्राह्मण ने रथकार की पत्नी से कहा,तुम भगवान विश्वकर्मा की शरण में जाओ, तुम्हारी अवश्य ही इच्छा पूरी होगी और अमावस्या तिथि को व्रत करके भगवान विश्वकर्मा की कथा सुनो।
इसके बाद रथकार और उसकी पत्नी ने अमावस्या को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की। जिससे उसे धन-धान्य और पुत्र की प्राप्ति हुई और वह दोनों सुखी जीवन व्यतीत करने लगे। तभी से विश्वकर्मा की पूजा बडे धूमधाम से की जाने लगी।