दुर्गा अष्टमी
हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्यौहार बडे धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि साल में दो बार आती है, पहली चैत्र में और दूसरी शारदीय होती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है। इन देवी के स्वरूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि को नौ दिनों तक बडे ही श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। जिसमें आठवें और नौवे दिन कन्या पूजन किया जाता है। दुर्गा अष्टमी को महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी कहा जाता है।
दुर्गा अष्टमी की विशेषता
मां दुर्गा के आठवें रूप यानी महागौरी की पूजा करने से असंभव काम भी सफल होने लगते है।
सुहागन महिलाएं मां गौरी को चुनरी अर्पित करती है, जिससे उनके सुहाग की रक्षा होती है।
मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं।
मां दुर्गा की उपासना करने से फल शीघ्र प्राप्त होता है।
इनकी पूजा करने से मनुष्य के सारे दुख और परेशानी दूर हो जाती हैं।
मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-शांति, धन में वृद्धि होती है।
इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है।
महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के चार हाथों में से दो हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होते हैं और एक हाथ में डमरू और एक हाथ में त्रिशूल होता है।
महागौरी को सफेद और हरे वस्त्र धारण करना बहुत प्रिय हैं।
दुर्गा अष्टमी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल दुर्गा अष्टमी 17 अक्टूबर 2018 को मनाई जाएगी।
पूजा का मुहूर्त 16 अक्टूबर की रात को 23:46 से शुरू होगा और 17 अक्टूबर को दोपहर 02:19 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
दुर्गा अष्टमी की कथा
भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या की वजह से उनका शरीर काला पड़ गया था। देवी की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होकर इन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार कर लेते हैं और इनके शरीर को गंगाजल से धोया जाता है। इससे वे विद्युत के समान कांतिमान और गौरवर्ण की हो जाती हैं। इसलिए उन्हें महागौरी और दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है।