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सरस्वती आवाहन पूजा
सरस्वती पूजा वर्ष में दो बार संपन्न की जाती है पहली बसंत पंचमी के दिन और दूसरी नवरात्रि के सातवें दिन मां सरस्वती का आवाहन किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी तीन दिन माँ सरस्वती की पूजा होती हैं और विजयदशमी के दिन इनका विसर्जन किया जाता है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती है जो संगीत के सात स्वर है, वह माता सरस्वती के वाणी से उत्पन्न हुए है। इसी कारण इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। मां सरस्वती के कई नाम है, जैसेकि शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागश्वरी आदि नामों से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बढती है।
सरस्वती पूजा की विशेषता
पूरे देशभर में विद्यार्थी, लेखक और कलाकार मां सरस्वती की मूर्ति के सामने पुस्तक, कलम और वाद्ययंत्र रखकर पूजा करते है।
इस दिन पीले रंग के कपडे पहनना बहुत शुभ माना जाता है।
मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है।
देवी सरस्वती को विद्या, बुद्धि, साहित्य, कला, संगीत और समस्त ज्ञान की देवी माना गया है।
माता सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले रंग के फूल बहुत ही पसंद है, इसलिए इनकी पूजा करते वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करना चाहिए।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल सरस्वती आवाहन की पूजा 14 अक्टूबर 2018 के दिन की जाएगी।
मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त दोपहर के 03:41 बजे से लेकर शाम के 06:03 बजे तक रहेगा ।
सरस्वती मूल मंत्र
ऊँ सरस्वत्यै नमः।
सरस्वती मंत्र
ऊँ ऐं सरस्वत्यै नमः।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।।
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