नाग पंचमी
हिंदू धर्म के अनुसार नाग पंचमी का अपना ही महत्व है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। नाग देवता को भगवान शिव के गले का आभूषण माना जाता है। इससे नाग पंचमी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन को पूरे भारत में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
नाग पंचमी की विशेषता
शास्त्रों के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है।
इस दिन नाग देवता की पूजा-अर्चना करके दूध चढ़ाना चाहिए। इससे नाग देवता बहुत प्रसन्न होते है।
नाग पंचमी के दिन महिलाएं नाग देवता की पूजा करती है और अपने परिवारजनों की सुरक्षा की कामना करती है।
नाग देवता की पूजा करने से आध्यात्मिक ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है।
किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक नहीं हो, तो इस दिन विशेष पूजा करके उसकी स्थिति ठीक कर सकते है।
अगर किसी को सांप के सपने आते हो या उनसे डर लगता हो, तो ऐसे में नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए।
दिंनाक/मुहुर्त
इस साल नाग पंचमी 15 अगस्त 2018 को मनाई जाएगी।
इसका शुभ मुहुर्त सुबह के 05:54 से 08:30 बजे तक है।
नाग पंचमी की कथा
प्राचीन समय में एक सेठ के सात पुत्र थे। उन सभी का विवाह हो चुका था। इन सभी में से सबसे छोटी बहू का कोई रिश्तेदार नहीं था। अन्य बहुऐं अपने घर से कभी उपहार लेकर आती थी और सबसे छोटी बहू को ताना मारती थी। परन्तु छोटी बहू स्वभाव की बहुत अच्छी थी, तो इन बातों का बुरा नहीं मान थी।
एक दिन बड़ी बहू ने सभी बहूओं के साथ चलकर घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने को कहा। सभी बहुएँ साथ गई और बड़ी बहू खुरपी से गड्डे को खोदने लगी। तभी वहां पर एक सांप आ गया, तो बड़ी बहू ने सोचा सांप को मार दे। लेकिन छोटी बहु ने सांप को मारने से रोक दिया और कहा यह तो बेजुबान जानवर है, तब उस सांप की जान बच गई। कुछ समय बाद वही सांप छोटी बहू के सपने में आया। सांप ने उससे कहा की तुम ने मेरी जान बचाई है, तो तुम जो चाहे मुझसे मांग सकती हो। तब छोटी बहू ने कहा मेरा कोई भी भाई नहीं है, तो आप मेरे भाई बन जाओ। यह बात सुनकर सांप ने उसे अपनी बहन स्वीकार कर लिया।
एक दिन सारी बहुएँ अपने-अपने मायके गई और वहां से वापस आने के बाद छोटी बहू को ताने मारने लगी। तभी छोटी बहू ने मन ही मन सर्प को याद किया। एक दिन वह सांप मनुष्य रूप धारण करके छोटी बहू के घर आया और सभी को यह यकीन दिलाया कि वह छोटी बहू का दूर का भाई है। मैं अपनी बहन को मायके ले जाने आया हूं। परिवारजनों ने उसे जाने को कहा, जब वह रास्ते से जा रहे थे, तब सांप ने छोटी बहू को अपने वास्तविक रूप का परिचय दिया। वह सांप अपनी बहन को शान से घर लेकर आया। जहां पर बहुत धन-धान्य था और सर्प ने अपनी बहन को बहुत धन, जेवर आदि चीजें देकर मायके से विदा किया।
यह सब देकर बड़ी बहू जल गई और उसने छोटी बहू के पति को भडकाया की वह चरित्रहीन है। तब उसके पति ने अपनी पत्नी को घर से निकालने का निर्णय लिया। तब छोटी बहू ने अपने सर्प भाई का स्मरण किया। सांप उसी समय उसके घर आया और उसने सभी से कहा कि किसी ने भी उसकी बहन पर कोई भी आरोप लगाया तो मैं सबको डस लूँगा। इससे सच्चाई सबके सामने आई और एक भाई ने अपना फर्ज निभाया। तभी से सर्प को भाई मानकर महिलाएं सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करती है।