हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। यह त्यौहार सावन महीने के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है। महिलाएं इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाती है। सावन के महीने में चारो तरफ हरियाली होती है, तो इसी कारण से इस त्यौहार का नाम हरियाली तीज पडा। इस व्रत को कुंवारी कन्या मनचाहा वर पाने और सुहागन महिलाएं सौभाग्यवती बने रहने के लिए करती है। हरियाली तीज को छोटी तीज, कजली तीज और मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त किया था।
हरियाली तीज की विशेषता
हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत करती है।
तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती है और साथ में गाना-गाते हुए झूला-झूलती है।
इस त्यौहार में हरी रंग की चूडियां, हरे रंग के कपड़े और मेंहदी का बहुत महत्व होता है।
सुहागन महिलाएं अपना सौभाग्य बनाए रखने के लिए हरियाली तीज पर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करती है।
इस व्रत में सबसे पहले सारी महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्र होकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी कपड़े और गहने से सजाती है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल हरियाली तीज 13 अगस्त 2018 को मनाई जाएगी। इस व्रत का शुभ मुहूर्त सुबह 08:36 से शुरू होगा और इसका समापन 14 अगस्त 2018 की सुबह 05:45 को होगा।
हरियाली तीज से सम्बंधित पूजा
इस तीज पर विशेष रूप से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
हरियाली तीज की कथा
पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्म को याद दिलाते हुए एक कथा सुनाई थी। माता पार्वती ने हिमालय पर्वतराज के घर में जन्म लिया था। शिव जी ने माता से कहा की तुमने मुझे वर रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान तुमने अन्न-जल का त्याग कर सूखे पत्ते खाकर दिन व्यतीत किये थे। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारे कठोर तप को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी हो गए थे। एक दिन नारदजी तुम्हारे घर आए और कहा कि मुझे भगवान विष्णु जी ने यहां भेजा है। वह आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे विवाह करना चाहते है।
नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुए और कहा यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से
विवाह करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी खुशी मेरे लिए क्या हो सकती है। मैं इस विवाह के लिए तैयार
हूं। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि
कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी। फिर तुम्हारी सहेली ने तुम्हारे दुख का कारण
पूछा तो तुमने अपने मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली ने एक सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में ना पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज़ में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम नहीं मिली। तुम एक गुफा के अंदर मेरी आराधना में लीन थी। तुमने उसी गुफा में रेत से एक शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना को पूर्ण किया। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि अगर आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार करते हुए तुम्हारा विवाह मेरे साथ पूरी विधि-विधान के साथ कर दिया। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता हैं ।