गोवर्धन पूजा हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जिसे देश भर में बड़ेहर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्तिक महीने में दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा को लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है।
इस दिन मंदिरों में अन्नकूट की पूजा की जाती है। इस त्यौहार का वृंदावन में विशेष महत्व होता है। इसकी शुरुआत द्वापरयुग से हुई थी जोभगवान श्रीकृष्ण ने की थी।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर घंमड हो गयाथा। तब श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का घंमड तोड़नेके लिए ब्रज वासियों से पूछा कि, इंद्र देव की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है ?
बल्कि गोवर्धन पर्वत पर उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है, जहाँ पर घास उगती है। इस हरी घास को गायें तथा बैल चरते है।
परिणामस्वरूप गाये दूध देती है और बैल हल जोतने का काम करते है। इसलिए इंद्र देव की पूजा नहीं करनी चाहिए, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए।
ब्रज वासियों ने श्रीकृष्ण की बात सुनकर गोवर्धनपर्वत की पूजा शुरू कर दी। जबदेवराज इंद्र ने देखा कि ब्रजवासी उनकी पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वतकी पूजा कर रहे है,तबइस बात से क्रोधित होकर उन्होंनेमूलसाधार बारिश शुरूकर दी।
इस मूलसाधार बारिश से ब्रज वासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया। सभी ब्रज वासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। इंद्र देव के द्वारा की जाने वाली बारिश सात दिनों तक चलती रही और अंत में देवराज इंद्र नेभगवान श्रीकृष्ण की लीला के सामने हार मान ली।
स्वर्ग से धरती पर आकर देवराज इंद्र नेभगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी, साथ ही स्वयं इन्द्र देव ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। तभी से ही गोवर्धन पूजा करने की शुरुआत हुई।