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हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का त्यौहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह त्यौहार नरक चौदस,नरक चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष कीचतुर्दशी के दिन प्रातःकाल उठकर तेल लगाकर चिचड़ी की पत्तियाँ पानी में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करता हैं।
क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ?
भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर नामक असुर का वध किया था। नरकासुर ने सोलह हजार कन्याओं को बंदी बनाकर रखा हुआ था।
नरकासुर का वध करके श्रीकृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया था। इन कन्याओं ने श्रीकृष्ण से कहा कि यह समाज हमें स्वीकार नहींकरेगा, अतः आप ही कोई उपाय बताए।
समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्रीकृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।
नरकासुर का वध और सोलह हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
एक अन्य मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीपदान करने से नरककी यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसीकारण नरक चतु्र्दशी के दिन दीपदान और पूजा करने का विधान है।
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