दीपावली
भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक दीपावली है। यह पर्व आश्विन मास की कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे भारत में सब बडे ही धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाते है। भारत वर्ष में यह एक ऐसा त्यौहार है जो हमें अंधेरे से ऊजाले की तरफ ले जाता है। यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है। इसकी शुरूआत धनतेरस से होती है और भाई दूज पर खत्म होता है। दीपावली के त्यौहार को राष्ट्रीय छुट्टी घोषित किया जाता है। ताकि सभी लोग अपने मित्रों और परिवारजनों के साथ मिलकर इस त्यौहार को मना सके।
दीपावली की विशेषता
दीपावली की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है, लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने लगते है। ऐसा माना जाता है कि साफ-सुथरे जगह पर ही देवी-देवता विराजमान होते है।
दीवाली के दिन घरों में रंगोली बनाई जाती है और तरह-तरह से घर को सजाया जाता है।
इस दिन विशेष रूप से घरों में मिठाई और कई तरह के पकवान बनाये जाते है।
इस दिन लोग नए कपडे पहनकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मीजी की पूजा करते है।
दीवाली के दिन घर और अन्य जगह काम करने वाले कर्मचारियों को भी उपहार दिया जाता है।
दीपावली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा करके दीये और मोमबत्ती जलाकर चारों तरफ रोशनी की जाती है।
इस दिन पूजा करने के बाद अपने बडों से आशीर्वाद लेते है और छोटों को आशीष देते है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल दीपावली 7 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 05:59 से लेकर 07:55 तक है।
दीवाली से संबंधित पूजा
इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और सरस्वती माता की पूजा की जाती है।
दीपावली की कथा
दीवाली के दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापस लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने चारों तरफ घी के दीये जलाकर रोशनी की थी। मंथरा के गलत विचारों से भरत की माता कैकई ने श्रीराम को उनके पिता दशरथ द्वारा वनवास भेजने के लिए वचनवद्ध किया था। जब राजा दशरथ, श्रीराम को वनवास के लिए आदेश देते है, तो भगवान राम अपने पिता के आदेश का सम्मान करते हुए, वनवास के लिए निकल रहे थे, कि तभी माता सीता और भाई लक्ष्मण भी इनके साथ जाने के लिए कहते है। तब भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षो वनवास के लिए निकल जाते हैं। रावण वहीं वन में माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है।
तब भगवान श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और सुग्रीव की वानर सेना के साथ मिल कर रावण का वध किया और मातासीता को उसकी कैद से छुड़वाया। उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है और जब श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटते हैं, तो पूरे राज्य के लोग उनके स्वागत के लिए रात्रि के समय दीप जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। तभी से इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।