दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस त्यौहार को अन्नकूट के नाम से भीजाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस त्यौहार की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गायों की पूजा की जाती है, साथ ही भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
इस पूजा की शुरुआत श्रीकृष्ण के द्वारा द्वापरयुग में हुई थी और तभी से ही ये पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।
गोवर्धन पूजा की विधि
- इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद पूजा स्थान को साफ कर लें।
- आप अपने पूजा घर में या घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बना लें।
- इसके बाद गोवर्धन पर्वत पर पुष्प, फल, मिठाई, अक्षत, चंदन आदि चढाएं।
- पूजा करते समय गोवर्धन के सामने एक दीपक जलाएं।
- पूजा की थाली में देशी घी का दिया, धूप, बताशे, एक कटोरी में खीर, हलवा, पंचामृत तथा एक कटोरी में अन्नकूट की सब्जी और पूरी गोवर्धन पर्वत पर चढाएं।
- गोवर्धन पूजा करने के बाद गोवर्धन बाबा के चारों तरफ 11 बार परिक्रमा की जाती है।
- इसके बाद खीर, हलवा, अन्न कूट की सब्जी और पूरी का भोग गोवर्धन भगवान को चढाएं।
- प्रसाद का भोग लगाने के बाद सभी लोग इस प्रसाद को ग्रहण करें।