Dhanteras Festival 2018, Dhanteras Puja Muhurat and Vidhi | Shivology


Dhanteras 2018 | Dhanteras Date, Muhurat, Significance and Story

धनतेरस 2018 | धनतेरस तिथि, मुहूर्त, महत्व और कहानी

Dhanteras 2018

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धनतेरस

भारत त्यौहारों का देश है, यहां पर हर त्यौहार बडी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाई जाती है। धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन से अमृत का कलश लेकर धन्वन्तरि प्रकट हुए थे इसलिए इसे धन्वन्तरि के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।

 

धनतेरस की विशेषता

धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है।

इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेरजी की पूजा करने से सुख-शांति, समृद्धि और धन घर में आता है।

इस दिन सोना, चांदी व अन्य धातु खरीदना अति शुभ होता है।

धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है। उसे यमदीप कहते है और ऐसा करने से वहां पर किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

धनतेरस के दिन किसी को भी उधार देना शुभ नहीं माना जाता है।

 

दिंनाक/मुहूर्त

इस साल धनतेरस 05 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी। धनतेरस की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 06:05 से लेकर 08:03 तक का है।

 

धनतेरस पर किसकी पूजा होती है?

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है।

इस दिन भगवान कुबेरजी की पूजा भी की जाती है।

इस दिन भगवान धन्वन्तरि की भी पूजा होती है।

 

धनतेरस की कथा

एक राजा था, जिसका कोई पुत्र नहीं था, लेकिन कई वर्षों की प्रतिक्षा के बाद, उसके यहां एक पुत्र ने जन्म लिया। किसी ज्योतिषी ने उस बालक को देखकर यह कहा की, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी।

ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दुख हुआ । उसके बाद राजा ने राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया। जहां पर कोई भी महिला न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी। राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखते है, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो जाते है  और दोनों आपस में विवाह कर लेते है।

ज्योतिषी ने जो भविष्यवाणी की थी, उसी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने के लिए आ जाते है। यमदूत को देखकर राजकुमार की पत्नी रोने लगी। यह देखकर यमदूत को उसके ऊपर दया आ गई। उसने यमराज से विनती की और कहा की इनके प्राण बचाने का कोई उपाय बताए। इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक मास के कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरी पूजा करके दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाएगा उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं होगा। तभी से इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाया जाता है।

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