Yogini Ekadashi Vrat Date 2018, Significance and Puja of Yogini Ekadashi | Shivology


What is Yogini Ekadashi?

योगिनी एकादशी क्या है?

Festivals 2018

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योगिनी एकादशी

हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए हर महीने आने वाली एकादशी तिथि का महत्व बहुत अधिक होता है। शास्त्रों में हर एकादशी का अपना ही अलग महत्व बताया गया है। योगिनी एकादशी आषाढ महीने की कृष्ण पक्ष में आती है। इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु और पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। योगिनी एकादशी, जो निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है।

 

योगिनी एकादशी की विशेषता

इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह एकादशी व्यक्ति को लोक और परलोक दोनों लोको से मुक्ति दिलाती है। यह एकादशी का व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध होता है।

इस एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य मिलता है।

इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराकर उनकी पूजा अर्चना करने के साथ भोग लगाना

चाहिए और इस दिन पीपल के पेड की पूजा करने का भी बहुत महत्व होता है।

जो व्यक्ति योगिनी एकादशी का व्रत विधि विधान पूर्वक संपन्न करता है, उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है।

 

दिंनाक

इस साल योगिनी एकादशी 09 जुलाई 2018 को है।

 

योगिनी एकादशी व्रत की कथा

अलकापुरी नाम की नगरी में एक कुबेर नाम का राजा था। वह भगवान शिव का परम भक्त था और पूजा में फूलों का प्रयोग करता था। पूजा के लिए प्रतिदिन हेममाली रात्रि के समय मानसरोवर से फूल लाता था और सुबह राजा कुबेर के पास पहुँचाता था। एक दिन वह मानसरोवर से पूजा के लिए पुष्प तो ले आया परन्तु अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम के वशीभूत होकर घर में ही विश्राम करने के लिए रूक गया और राजा के पास फूल नहीं पहुँचा पाया। जब राजा कुबेर को उसकी राह देखते-देखते दोपहर हो गई, तो उसने क्रोधपूर्वक अपने सेवकों को आज्ञा दी।

"तुम जाकर हेममाली का पता लगाओं", कि वह अभी तक फूल लेकर क्यों नहीं आया है ? जब यक्षों ने उसका पता लगाया, तो उन्होंने कुबेर के पास जाकर कहा,  हे राजन, वह माली अभी तक अपनी पत्नी के साथ है। यक्षों की बात सुनकर कुबेर ने हेममाली को बुलाने की आज्ञा दी। राजा कुबेर के बुलावे पर हेममाली राजा के सम्मुख उपस्थित हुआ।

राजा ने कहा, तुमने समय पर पुष्प नहीं ला कर, मेरे परम पूजनीय भगवान शिव का अपमान किया है। मैं तुम्हें श्राप देता हूँ, कि तुम स्त्री का वियोग भोगोगे और मृ्त्युलोक में जाकर कोढी हो जाओगे। कुबेर के श्राप से वह उसी क्षण स्वर्ग से पृ्थ्वी लोक पर आ गिरा और कोढी हो गया।

हेममाली पृथ्वी पर आने के बाद भूख-प्यास से दुखी होकर भटकते हुए, एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में जा पहुँचा तथा राजा कुबेर से मिले श्राप के बारे में उन्हें बताया। हेममाली की सारी विपदा को सुनते हुए मार्कंडेय ऋषि ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव तथा विधि-विधान से करने के लिए कहा। हेममाली ने व्रत को पूरी विधि विधान से किया और उसके प्रभाव से उसे राजा कुबेर के मिले श्राप से मुक्ति मिल गई। उसी दिन से लोगों द्वारा योगिनी एकादशी का व्रत किया जाने लगा ।

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