शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर आश्विन के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। अर्थात् यह व्रत सोलह दिनों तक मनाया जाता है। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का वर्णन किया गया है। महालक्ष्मी व्रत में 16 दिनों तक व्रत और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन सभी मनुष्य पूरे 16 दिनों का व्रत नहीं कर पाते है, तो वह 16 दिनों में से केवल तीन दिन का व्रत कर सकते है। यह तीन दिन का व्रत पहले, मध्य और आखिर में किया जाता है। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है और 16वे दिन पूजा करके इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।
महालक्ष्मी व्रत की विशेषता
मां महालक्ष्मी का व्रत करने से घर में धन की वृद्धि होती है।
इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करने से इंसान की सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
भारतीय परंपरा के अनुसार मां महालक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का वास होता है।
महालक्ष्मी का व्रत करने से मनुष्य की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है।
इस व्रत का सोलहवें दिन उद्यापन करके सोलह ब्राह्मणियों को भोजन करवाना शुभ होता है।
महालक्ष्मी व्रत कब से शुरू और कब तक है?
इस साल महालक्ष्मी जी का व्रत 17 सितंबर 2018 से शुरू और इसका अंत 02 अक्टूबर 2018 को होगा ।
महालक्ष्मी व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमित रुप से श्री विष्णु की पूजा करता था। उसकी पूजा और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्री विष्णु ने ब्राह्मण को दर्शन देकर उसकी इच्छा पूछी। तो ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा प्रकट की। यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताते हुए ब्राह्मण को कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना। वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है।
जब देवी लक्ष्मी तुम्हारे घर आएगी तो तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा। यह कहकर श्री विष्णु जी चले गये। अगले दिन वह सुबह चार बजे ही मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं, तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। परन्तु ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई, कि यह सब विष्णु जी के कहने पर हुआ है। लक्ष्मी जी ब्राह्मण से कहती है की तुम महालक्ष्मी व्रत करो। यह व्रत 16 दिनों तक करना होता है और सोलहवें दिन इस व्रत का उद्यापन करें।
ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजा की। देवी लक्ष्मी ब्राह्मण द्वारा किए हुए पूजा और व्रत से प्रसन्न होकर माँ ने उसके घर में धन से जुडी सारी समस्या दूर कर दी । उस दिन से यह व्रत महालक्ष्मी व्रत के रूप में संपन्न किया जाने लगा।